बदलापुर । बदलापुर क्षेत्र के ग्राम पट्टी दयाल में आयोजित संगीतमयी सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन शनिवार को कथावाचक आचार्य रजनीश महाराज ने कहा कि जब जीव में अभिमान आता है तब भगवान से वह दूर हो जाता है, लेकिन जब कोई भगवान के अनुराग के विरह में होता है तो श्रीकृष्ण उस पर अनुग्रह करते हैं और उसे दर्शन देते है। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण रूक्मिणी के विवाह प्रसंग को सुनाते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मणि के साथ संपन्न हुआ, लेकिन रुक्मणि को श्रीकृष्ण द्वारा हरण कर विवाह किया गया। कथा व्यास ने बताया कि रुक्मिणी स्वयं साक्षात लक्ष्मी हैं और वह नारायण से दूर रह ही नही सकती। इस अवसर पर श्रीकृष्ण और रूक्मणि के विवाह की झांकी ने श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया। श्रीमद् भागवत कथा सुनने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ से कथा स्थल खचाखच भरी थी । कथावाचक आचार्य रजनीश जी महाराज ने कथा प्रसंग के क्रम में श्री कृष्ण और रुक्मणी के विवाह की व्याख्या कर श्रोताओं को भाव कर दिया। कथा अमृत वर्षा के रूप में श्रद्धालुओं के अंतकरण को भिगोकर रस रंग में डुबो रही थी। भगवान श्री कृष्ण की दिव्य लीला और महारास के वर्णन से सुमधुरित कथा श्रवण से सभी भाव विभोर हो गये । कथावाचक ने बताया कि श्रीकृष्ण लीला अमृत के महारास में जीव आत्मा का परमात्मा से मिलन हुआ उन्होंने कहा कि जिव और परमात्मा तत्व ब्रह्मा के मिलन को ही महाराज कहते हैं। उन्होंने कहा कि जब जीव में अभिमान आता है तब भगवान से वह दूर हो जाता है लेकिन जब कोई भगवान के अनुराग की विरह में होता है तो श्री कृष्ण उस पर अनुग्रह करते हैं उसे दर्शन देते हैं। श्रीमद् भागवत कथा राजू महाराज एवं डॉक्टर फलाहारी जी महाराज के सानिध्य में चल रहा है। मुख्य अजमान माया शंकर दुबे उनके धर्मपत्नी विद्यार्थी दुबे ने भालू में प्रसाद वितरण किया। आगंतुकों के प्रति आभार प्रिंसिपल पवन पांडे ने व्यक्त किया। इस मौके पर प्रबंधक अरुण कुमार सिंह, जितेंद्र दुबे , उमेश चंद्र दुबे , राजेंद्र मिश्रा,पवन पांडे,अरविंद तिवारी,अमन,अनीश दुबे , हेमंत , जन्मेजय आदि लोग उपस्थित रहे।
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