फिल्मों में अधिकतर विलेन की भूमिका निभाने वाले फिल्म अभिनेता सोनू सूद रीयल लाइफ के हीरो हैं. लॉकडाउन में हजारों गरीब परिवारों की मदद करने का जो सिलसिला चला आज भी वह जारी है. गढ़वा के युवक को जब ट्यूमर हुआ तो उसने जीने की आस छोड़ दी क्योंकि इलाज कराने के लिए युवक के पास पैसे नहीं थे न ही उसके घरवालों के पास. ऐसे में झारखंड में गढ़वा के जरूरतमंद युवक के लिए सोनू सूद मसीहा बने और उन्होंने इस युवक की मदद की.
अपने गरीब परिवार के साथ पप्पू यादव.
दरअसल, पप्पू यादव नाम का युवक गढ़वा जिले में डंडई प्रखंड के बौलिया गांव रहने वाला है. पप्पू को बचपन में ट्यूमर हो गया था जिसका इलाज कराने में वह समर्थ नहीं था. उसके पिता किसानी करते हैं और वह इतना नहीं कमाते कि अपने लाडले का इलाज करा सकें. ऐसे में पप्पू को याद आई अपने मसीहा सोनू सूद की. फिर क्या था पप्पू बिना किसी को बताए नंगे पैर मुंबई की ओर चल पड़ा.
अभिनेता सोनू सूद ने की युवक की मदद.
पप्पू के शरीर पर ढंग के कपड़े नहीं थे. ट्रेन में बैठा तो टिकट नहीं था. पैर में चप्पल के बदले लाल-लाल छाले दिख रहे थे. टीटी ने टिकट मांगी तो उसने अपने बीमारी के बारे में टीटी को जानकरी दी कि वह मुंबई सोनू भैया से मिलने जा रहा है क्योंकि वह बीमार है. शायद वह मदद कर दे. टीटी को दया आई तो उसने उससे कहा कि ठीक है तुम सफर कर सकते हो. पप्पू को इस तरह परिस्थिति का सामना चार बार करना पड़ा. जबलपुर, कटनी, इटारसी, कल्याण और अंत में लोकमान्य तिलक टर्मिनल पर. मुंबई स्टेशन पर पहुंचते ही टीटी महोदय ने फिर पकड़ लिया तो सारी बात बताई तो टीटी ने भी सोनू सूद को मसीहा बताया और उस लड़के को सारी जानकरी दी.
नंगे पैर ही चल दिया मुंबई की ओर, सोनू सूद ने की मदद.
दो से तीन दिनों के बाद जब पप्पू सोनू सूद के आवास पर पहुंचा तो उसकी मुलाकात उसके मैनेजर से हुई. उसने मैनेजर को सारी बात बताई तो मैनेजर ने उसकी मुलाकात सोनू सूद से करा दी. फिर क्या था अपने सोनू सूद को देख पप्पू की आंखों में आंसू भर आए. सोनू सूद ने सबसे पहले उसे खाना खिलाया फिर कपड़े के साथ चप्पल और पैसे भी दिए. सोनू सूद ने उस लड़के को मुंबई बाला साहेब ठाकरे अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया और पप्पू एक महीने में ठीक हो गया.
गढ़वा के युवक के लिए सोनू सूद बने मसीहा
इस दौरान उसके इलाज में लगभग आठ से नौ लाख रुपये का खर्च आया जिसका पेमेन्ट सोनू सूद ने किया. थोड़ा ठीक होने के बाद पप्पू आठ दिनों तक सोनू सूद के आवास पर रहा. उसके बाद उसे वापस अपने घर भेज दिया गया. पप्पू के पास मोबाइल नहीं था तो उसने सोनू को यह भी बताया और मोबाइल उसके घर तक पहुंच गया. पप्पू का कहना है कि मेरे लिए तो सोनू भगवान हैं. यह शरीर अब उनका है. अब मैं सोनू भैया के लिए ही जियूंगा.
इलाज में लगभग आठ से नौ लाख रुपये का आया खर्च.
अपने बेटे का इलाज कराने में अक्षम पिता की जुबान पर जब सोनू सूद का नाम आया तो उनकी आंखें आंसुओं से डबडबा गईं और बोले कि मैंने तो आसरा ही छोड़ दिया था कि मैं अब अपने बेटे को बचा पाऊंगा. लेकिन धरती के भगवान बनकर आये हमारे सोनू सूद, मैं उनसे मिलना चाहूंगा. उनका शुक्रिया करना चाहुंगा. मां कहती है कि सोनू मेरा अब बड़ा बेटा बन गया है क्योंकि उसने एक मां की कोख को उजड़ने से बचाया है. आज मेरा लड़का ठीक होकर आ गया है. मैं भी जब कभी पैसा होगा तो मुंबई जाकर भगवान के रूप में बड़े बेटे से मिलूंगी. पप्पू के पड़ोसियों का भी कहना है कि सोनू सूद भले ही फिल्मों में विलेन बनते हों लेकिन रियल लाइफ में हीरो नम्बर वन बनकर उभरे हैं.
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