लखनऊ. धर्मांतरण के मामले में गिरफ्तार मुफ्ती काजी जहांगीर आलम कासमी और मोहम्मद उमर गौतम की कस्टडी रिमांड पर अदालत में आज सुनवाई होगी। इसके पहले सोमवार को उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच लखनऊ में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सत्यवीर सिंह की कोर्ट में पेश किया गया था। कोर्ट ने दोनों को न्यायिक अभिरक्षा में तीन जुलाई तक के लिए जेल भेज दिया था। पुलिस कस्टडी रिमांड के लिए एटीएस के विवेचक के प्रार्थना पत्र पर अदालत आज सुनवाई करेगी।
सोमवार को यूपी पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने बड़े पैमाने पर धर्मांतरण कराने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया था। गिरोह के दो सदस्यों दिल्ली निवासी मुफ्ती काजी जहांगीर आलम कासमी और मोहम्मद उमर गौतम को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया है। यह गिरोह मूक बधिर व कमजोर आय वर्ग के लोगों को धन, नौकरी व शादी का लालच देकर धर्म परिवर्तन करने के लिए तैयार करता था। इस गिरोह को आईएसआई समेत अन्य विदेशी एजेंसियों से फंडिंग की जाती थी। गिरोह ने अब तक देश भर में करीब एक हजार लोगों का धर्मांतरण कराने का खुलासा किया है। उनके कब्जे से विदेशी फंड से जुड़े दस्तावेज़ भी बरामद हुए हैं। एटीएस इनकी छानबीन कर रही है। एटीएस दोनों को अदालत से पुलिस कस्टडी रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी, ताकि उसके रैकेट का खुलासा हो सके।
धर्मांतरण कराने के बाद शादी भी कराई
एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने पत्रकारों को बताया कि यह गिरोह कई लड़कियों की धर्मांतरण के बाद शादी भी करवा चुका है। गिरोह के सदस्य मोहम्मद उमर गौतम ने खुद भी धर्मांतरण किया था। उसके पिता का नाम धनराज सिंह गौतम है। एटीएस को देश भर के 1000 ऐसे लोगों की सूची मिली है, जिनका इस गिरोह ने धर्मांतरण कराया है। यह संख्या और भी ज्यादा हो सकती है। गिरफ्तार अभियुक्त मुफ्ती काजी जहांगीर आलम कासमी नई दिल्ली के जामिया नगर इलाके के ग्राम जोगाबाई में रहता है, जबकि उसका सहयोगी मोहम्मद उमर गौतम नई दिल्ली के जामिया नगर इलाके के बाटला हाउस में रहता है। उमर मूल रूप से फतेहपुर का रहने वाला है और उसने 1984 में इस्लाम कबूल कर लिया था।
चला रहे थे इस्लामिक दावा सेंटर
उमर और उसके सहयोगियों द्वारा गैर मुस्लिमों का धर्म परिवर्तन कराने के लिए इस्लामिक दावा सेंटर नामक संस्था का संचालन किया जा रहा था, जिसका कार्यालय जामिया नगर के सी-2 जोगाबाई एक्सटेंशन में है। मुफ्ती काजी द्वारा गैर कानूनी तरीके से धर्मांतरण से संबंधित प्रमाणपत्र एवं विवाह के प्रमाणपत्र तैयार किए जाते थे। उमर ने पूछताछ में बताया कि उसने अभी तक लगभग एक हजार लोगों को मुस्लिम धर्म में परिवर्तन कराया है और बड़ी संख्या में उनकी मुस्लिमों से शादी कराई है। इस कार्य के लिए उसके और उसकी संस्था के बैंक खातों में और अन्य माध्यमों से भारी मात्रा में धन उपलब्ध कराया जाता है। इसमें विदेशों से भी फंडिंग होती है।
मूक बधिर विद्यालय के बच्चों का कराया भी धर्मांतरण
आईजी एटीएस डॉ. जीके गोस्वामी ने बताया कि गौतमबुद्धनगर में नोएडा के सेक्टर-117 में संचालित ‘नोएडा डेफ सोसाइटी’ में पढ़ने वाले बच्चों का भी नौकरी, शादी व पैसे के प्रलोभन की बदौलत धर्मांतरण कराया गया है। इस धर्मांतरण की जानकारी छात्रों के परिवारीजनों को भी नहीं थी। एटीएस के लखनऊ थाने में इस संबंध में आईपीसी की धारा 420, 120बी, 153ए, 153बी, 295 व 511 के अलावा उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। इसमें दोनों गिरफ्तार अभियुक्तों के अलावा ‘इस्लामिक दावा सेंटर नामक संस्था’ तथा अन्य अज्ञात को आरोपित किया गया है।
गाजियाबाद की घटना से खुला मामला
यह मामला गाजियाबाद के डासना में एक मंदिर में हुई घटना से जानकारी में आया। इस संबंध में मसूरी थाने में तीन जून 2021 को दर्ज कराई गई एफआईआर में नामजद अभियुक्तों विपुल विजयवर्गीय व उसके साले कासिफ से पूछताछ में इस गिरोह के बारे में पता चला। विपुल ने भी धर्म परिवर्तन करके गाजियाबाद में एक मुस्लिम लड़की से विवाह कर लिया है। वह नागपुर (महाराष्ट्र) का रहने वाला है। एटीएस ने इस सूचना के आधार पर गिरोह तक पहुंचने में सफलता प्राप्त की।
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