गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश आतंक निरोधी दस्ते (एटीएस) ने लखनऊ के एटीएस पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद दो लोगों मुफ्ती काजी जहांगीर आलम कासमी और मोहम्मद उमर गौतम को गिरफ्तार किया था । उत्तर प्रदेश पुलिस के अनुसार, आरोपी दिल्ली के जामिया नगर के रहने वाले हैं । इनको उत्तर प्रदेश के आतंकवाद निरोध दस्ते ने धर्म परिवर्तन कराने के एक मामले में धर दबोचा है। इन षडयंत्रकारियों ने कई गरीब, अपंग, लाचार और मोहताज़ लोगों को मुसलमान बनाने का पूरा मामला अंजाम दिया है। इन दोनों मजहब के ठेकेदारों— उमर गौतम और जहांगीर आलम कासमी— को गिरफ्तार किए जाने के बाद पता चला है कि उन्होंने एक हजार से ज़्यादा लोगों को मुसलमान बनाया है। उन्होंने इस काम सिर्फ दिल्ली और नोएडा में ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र, केरल, आंध्र प्रदेश, हरियाणा और उत्तरप्रदेश में भी अंजाम दिया हैं। धर्मांतरण के इस मामले की जांच में यह पाया गया कि उन्हें इस काम के लिए बहुत पैसा भी मिलता रहा है। उन्होंने कैसे इनलोगों को मुस्लिम बनाया है ? ये भी जानना ज़रूरी है। उन्हें कुरान शरीफ की आयतें समझाकर नहीं, इस्लाम के इंक़लाबी उसूलों को समझाकर नहीं और न ही पैगंबर मोहम्मद की ज़िंदगी की सुन्नतों, अक़्सात को बताकर बल्कि कभी लालच देकर, डरा-धमकाकर, तो कभी हिंदू धर्म की बुराईयां करके मुसलमान बनाया गया है। इसी सिलसिले में पता चला है कि नोएडा के एक मूक-बधिर आवासी स्कूल के बच्चों को फुसलाकर मंसूबा बंदी ढंग से उनका धर्मांतरण करवाया गया और उनकी शादी मुस्लिम लड़कियों से करवा दी गई। इस राष्ट्रविरोधी काम को अंजाम देने वाले उमर गौतम का असली नाम श्यामप्रकाश सिंह गौतम था। इसने एक मुसलमान लड़की से शादी की और कुछ साल पहले मुसलमान बनने पर धर्मांतरण का काम पूरे जोर-शोर से शुरु कर दिया। गौतम से कोई पूछे कि तुम खुद मुसलमानों क्यों नही बने थे? शायद वो इस बात का जवाब न दे सके। कियूंकि वो ख़ुद इस्लाम की अच्छाइयों या पैगंबर मोहम्मद की ज़िंदगी से मुतास्सिर होकर मुसलमान नही हुआ था। उसके तो मुसलमान होने में उसका मक़सद छुपा हुआ था । इतने ग़लत काम के लिए जो पैसे जहांगीर आलम कासमी और उमर गौतम को दिए जाते थे उनका ज़रिया आईएसआईएस और कुछ दूसरी विदेशी एजेंसियां भी हैं।अब बात जब धर्म की आई है तो धर्म विशेषज्ञ भी ज़रूर सामने आएंगे। विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने मंगलवार को कहा कि केंद्र सरकार को देश में अवैध धर्मांतरण रोकने के लिये कानून बनाने पर विचार करना चाहिए । विहिप ने कहा कि अब ऐसे तत्व मूक-बधिर बालकों को भी निशाना बनाने का अमानवीय अपराध कर रहे हैं। उसने कहा कि उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण रोधी कानून होने के कारण इनका यह गिरोह पकड़ा गया, परंतु जहां यह कानून नहीं है, वहां तो इनके लिए मैदान खुला है। विहिप ने कहा कि अब धर्मांतरण के ऐसे स्वरूप की व्यापक जांच के लिए आयोग बनाना चाहिए जिसका कार्यक्षेत्र संपूर्ण देश हो । विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेन्द्र जैन ने अपने बयान में कहा, ‘‘इसकी व्यापक जांच के लिए नियोगी कमीशन जैसा जांच आयोग बनाया जाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि अब भारत को इस षड्यंत्र से मुक्त कराने का समय आ गया है। इस पूरे मामले पर उत्तरप्रदेश सरकार एक दम सतर्क हो गई है और दोषियों में कड़ी कार्रवाई करने की बात कर रही है। योगी सरकार दोषियों पर NSA के तहत कार्रवाई करने जा रही है। विश्व हिंदू परिषद और योगी सरकार का ये क़दम सराहनीय है लेकिन क्या कहीं हम इस बात को भूल गए धर्म के नाम पर गौ हत्या को मुददा बनाकर और जय श्री राम के नाम पर तबरेज़ अंसारी, मोहम्मद आतिब, मोहम्मद ख़ालिक़ जैसे न जाने कितने नौजवानों को जब मौत के घाट उतारा गया उस वक़्त ये विश्व हिंदू परिषद और मोदी सरकार कहां थी? धर्म तो उस वक़्त भी संकट में था, या फिर वो इस देश का मामला नही था। मौत देने जैसे घटिया मामले भी इसी हिंदुस्तान के और इसी इसी हुकूमत के हैं। जहांगीर आलम कासमी और उमर गौतम को सख़्त सज़ मिलनी चाहिए लेकिन इन अपराधों को मॉबलीचिंग भीड़ का मामला बताकर दामन छुड़ा लेना हुकुम को ज़ेब नही देता।
ज़रा सोचिए जिन लोगों को मुसलमान बनाया गया है, या जिन लोगों को जय श्री राम के नाम पर सदा के लिए कब्र में सुला दिया गया क्या वो लोग भी अपने मज़हब के उसूलों को समझते हैं। उमर गौतम और आलम कासमी ने जिनको ज़ोर ज़बरदस्ती से मुसलमान किया वो लोग किसी धर्म की परिभाषा नही जानते। न ही वो लोग कभी इस्लाम उस तौर रारीक़े पे जीते आये हैं जो उनका बेवजह सिखाया जा रहा है। ये हक़ीक़त है कि अगर कोई इंसान किसी मजहब के नेक उसूलों से मुतास्सिर होकर या उसको समझकर अपने दिल से अपना धर्म-परिवर्तन करता है तो यह उसका अधिकार है कि उसे ऐसा करने से कोई रोक नहीं सकता। लेकिन जोर-जबर्दस्ती, लालच और ज़िनाकारी के लिए जिस धर्म को बदला जाय वो सिवाय गुनाह के कुछ भी नही। वो फिर एक कमतर म्यार का मज़हब होगा और इससे ज़्यादा कुछ नही। कुरान शरीफ के हवाले से "मजहब में जबर्दस्ती का कोई स्थान नहीं है।’’ सच तो ये है मज़हब बेइज़्ज़त होता नज़र आ रहा है। भारत में धर्म से लड़ने के लिए तमाम कानून बने हुए हैं, लेकिन हक़ पे बोलने का कोई कानून नही है। ये कहना आसान है कि अंग्रेज और मुग़ल धर्म के नाम पर लोगों को लड़ाते थे लेकिन आज ये समझना मुश्किल है कि हम किस नाम पर लड़ रहे हैं। देखा जाय तो सिर्फ राजनीतिक सत्ता मजबूत करने के लिए धर्म के ठेकेदार उछल के सामने आते हैं, और जब किसी को इसी धर्म के नाम पर जान से मार दिया जाता है तो गंगा नहा आते हैं।
"धर्म इंसान के सीने में धड़कन की तरह होता है उसपर ज़ोर चला कर किसी को जबरदस्ती न मुसलमान किया जाय न हिंदू।"
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