कोलकाता. केंद्र सरकार ने पिछले सप्ताह कोलकाता पुलिस की ओर से भंडाफोड़ किए गए नकली टीकाकरण रैकेट पर ममता बनर्जी प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट को एक जुलाई तक केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को देनी है। दरअसल टीएमसी सांसद मिमी चक्रवर्ती सहित 800 लोगों को संदेह है कि उनको कोलकाता में आयोजित फर्जी टीकाकरण शिविरों में कोरोना वायरस टीके की जगह एमिकासिन नामक एंटीबायोटिक का इंजेक्शन लगाया गया है। इन टीकाकरण शिविरों को लगाने के पीछे 28 साल के एक युवक हाथ बताया जा रहा है जिसनें फर्जी आईएएस अधिकारी बनकर टीकाकरण को अंजाम दे रहा था।
मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव द्वारा राज्य के मुख्य सचिव को भेजे गए पत्र में अनुरोध करते हुए कहा गया है कि मामले की तत्काल जांच की जाए और गंभीर आरोपों के बारें तथ्यात्मक स्थिति स्पष्ट की जाए और यदि जरुरत हो तो मामले में उपयुक्त और सख्त कार्रवाई की जाए। इसके साथ-साथ यह भी कहा गया है कि मामले को लेकर अगले दो दिनों में मंत्रालय को भी एक रिपोर्ट भेज सकते हैं।
शुभेंदु अधिकारी ने स्वास्थ्य मंत्री को लिखा था पत्र
25 जून को बीजेपी नेता और पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्षा के नेता ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को पत्र लिखकर मामले की केंद्रीय एजेंसी से जांच करवाने की मांग की थी। कोलकाता पुलिस ने मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच का गठन किया है और तक इस मामले में छह लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है।
बीजेपी ने लगाया यह आरोप
भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया है कि फर्जी टीकाकरण रैकेट के मास्टरमाइंड देबंजन देब के मंत्रियों, सांसदों और विधायकों सहित वरिष्ठ टीएमसी नेताओं के साथ घनिष्ठ संबंध थे। कुछ तस्वीरें भी सामने आईँ हैं जिसमें यह देखा गया है कि आरोपी टीएमसी नेताओं के साथ फोटो फ्रेम में नजर आ रहा है।
टीएमसी ने आरोपों को किया खारिज
हालांकि, टीएमसी के नेताओं ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है। ममता सरकार में मंत्री फिरहाद हकीम ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि सार्वजनिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेने वाले हर व्यक्ति के बारे में जांच करना संभवन हीं है। ऐसे जगहों पर कोई भी तस्वीरें क्लिक कर सकता है।
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