दो बच्चों की नीति पर जल्द कानून बनाएगा असम, विधानसभा में बिल लाने की है तैयारी | Khabare Purvanchal

गुवाहाटी. दो बच्चों की पॉलिसी को लेकर सुर्खियां बटोरने वाली असम सरकार अब इसे लेकर कानून बनाने की तैयारी में हैं। अगले महीने बजट सत्र में सरकार की ओर इस संबंध में विधानसभा में विधेयक पेश किया जा सकता है। इस विधेयक में ऐसे लोगों को ही सरकारी नौकरियों और योजनाओं के लिए पात्र माना जाएगा, जिनके दो या उससे कम बच्चे हों। गुरुवार को कानून की योजना के बारे में बारे में बताते हुए संसदीय कार्य मंत्री पीयूष हजारिका ने कहा कि सरकार इस कानून को लेकर काम कर रही है। फिलहाल इस बात पर विचार किया जा रहा है कि इस कानून को किस तरह से लागू किया जाए। हालांकि अब तक इस पर कोई राय फाइनल नहीं हो पाई है।

हजारिका ने कहा कि हम इस कानून को लेकर योजना बना रहे हैं। अभी इस पर काफी काम किए जाने की जरूरत है। हम फिलहाल इस बात पर विचार कर रहे हैं कि इसे किस तरह से लागू किया जाए। हजारिका ने कहा, 'हमने पंचायत चुनावों में पहले ही इस नीति को लागू कर रखा है। लेकिन अब इसे सरकारी नौकरियों और राज्य सरकार की कल्याणकारी स्कीमों को लेकर भी लागू करने की तैयारी है। हालांकि अभी इसके सभी प्रावधानों को अंतिम मंजूरी नहीं मिल पाई है।' असम में पंचायत चुनाव लड़ने के लिए फिलहाल यह पॉलिसी लागू है। इसके अलावा न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता और घर में शौचालय होना भी अनिवार्य किया गया है। असम पंचायत एक्ट में 2018 में संशोधन के तहत इस नियम को लागू किया गया है।



बता दें कि बीते सप्ताह ही असम के चीफ मिनिस्टर हेमंत बिस्वा सरमा ने ऐलान किया था कि राज्य की योजनाओं में टू चाइल्ड पॉलिसी को धीरे-धीरे लागू किया जाएगा। इससे पहले उन्होंने मुस्लिम समुदाय से कम जनसंख्या रखने की अपील की थी और कहा था कि इससे उन्हें गरीबी से निपटने में मदद मिलेगी। उन्होंने अधिक आबादी को जमीन के अतिक्रमण से भी जोड़ा था। सरमा ने कहा था, 'यदि आबादी का विस्फोट जारी रहा तो एक दिन ऐसा भी आएगा, जब कामाख्या मंदिर की जमीन का भी अतिक्रमण हो जाएगा। यहां तक कि मेरे घर का भी अतिक्रमण हो जाएगा।' हालांकि असम में एक तबका सरकार की इस पॉलिसी की आलोचना भी कर रहा है। उनका कहना है कि यह एक समुदाय विशेष को टारगेट करने जैसा है। 

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