सम्मान: कर्णम मल्लेश्वरी बनीं दिल्ली खेल विश्वविद्यालय की पहली कुलपति, वेट लिफ्टिंग में ओलंपिक में जीता था पहला मेडल | Khabare Purvanchal

यमुनानगर (हरियाणा). भारत की पहली महिला ओलंपिक मेडल विजेता कर्णम मल्लेश्वरी को दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली खेल विश्वविद्यालय का पहला कुलपति नियुक्त किया गया है। हरियाणा के यमुनानगर की रहने वाली मल्लेश्वरी ने 2000 सिडनी ओलंपिक में वेट लिफ्टिंग में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। उनका रिकॉर्ड अब भी बरकरार है, क्योंकि भारत की किसी भी महिला ने ओलंपिक में वेट लिफ्टिंग में मेडल नहीं जीता है।


मल्लेश्वरी को 1994 में अर्जुन पुरस्कार और 1999 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह 1999 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित की गईं थीं। मल्लेश्वरी अब एफसीआई में मुख्य महाप्रबंधक के रूप में कार्यरत हैं और परिवार के साथ जगाधरी के सेक्टर 18 में रहती हैं।

वेटलिफ्टर कर्णम मल्लेश्वरी  'द आयरन लेडी' के नाम से मशहूर हैं। मल्लेश्वरी ने 25 साल की उम्र में सितंबर 2000 में सिडनी ओलंपिक में कुल 240 किलोग्राम में स्नैच श्रेणी में 110 किलोग्राम और क्लीन एंड जर्क में 130 किलोग्राम भार उठाया और ओलंपिक में पदक (कांस्य) जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। इसके बाद उनकी ऐतिहासिक उपलब्धियों की वजह से उन्हें जनता ने ’द आयरन लेडी’ नाम दिया।

कर्णम आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव वोसवानिपेटा हैमलेट में 12 साल की उम्र से खेल के मैदान में उतरी थीं। उस समय उनके पिता कर्णम मनोहर फुटबॉल खिलाड़ी थे तो वहीं उनकी चार बहनें भारोत्तोलक खिलाड़ी थी। कर्णम मल्लेश्वरी बेहद कमजोर थीं और उन्हें भारोत्तोलक से दूर रहने को कहा गया। तब उनकी मां आगे आईं और उनका हौसला बढ़ाया। उन्होंने कर्णम को यह विश्वास दिलाया कि वह यह कर सकती हैं। 1990 में कर्णम की जिंदगी में एक बड़ा बदलाव तब आया जब एशियाई खेल से पहले राष्ट्रीय कैंप लगा। इसमें कर्णम अपनी बहन के साथ एक दर्शक के रूप में गई थीं और खिलाड़ी के तौर पर इसका हिस्सा नहीं थीं, लेकिन इसी दौरान विश्व चैंपियन लियोनिड तारानेंको की नजर उन पर पड़ी। उन्होंने तुरंत ही कर्णम की प्रतिभा को पहचान लिया और कुछ स्किल्स देखने के बाद उन्हें बैंगलोर स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट में भेज दिया। यहां से कर्णम ने अपनी प्रतिभा दिखानी शुरू की और उसी साल अपना पहले जूनियर राष्ट्रीय वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में 52 किग्रा भारवर्ग में नौ राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ दिए। इसके एक साल बाद उन्होंने पहला सीनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप का खिताब भी जीत लिया।

Post a Comment

0 Comments