नरमी के मूड में नहीं है केंद्र सरकार, बंगाल के पूर्व चीफ सेक्रेट्री अलापन के जवाब पर बोली- आगे की कार्रवाई जल्द | Khabare Purvanchal

नई दिल्ली. यास तूफान के बाद पीएम मोदी की समीक्षा बैठक और उसमें शामिल नहीं होने वाले पूर्व मुख्य सचिव अलापन बंद्योपाध्याय को लेकर सियासी तूफान जारी है। पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलापन बद्योपाध्याय ने गुरुवार को केंद्र सरकार के नोटिस का जवाब दे दिया और कहा कि वह ममता बनर्जी के कहने पर चक्रवात प्रभावित इलाकों का दौरा करने गए थे। हालांकि, केंद्र सरकार कारण बताओ नोटिस के जवाब से संतुष्ट नजर नहीं आ रही है और नरमी दिखाने के मूड में भी नहीं दिख रही है। इस मामले से अवगत लोगों ने कहा कि आगे की कार्रवाई जल्द की जाएगी। 

समाचार एजेंसी एएनआई ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया कि केंद्र को पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक से अलापन के गायब रहने के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत उन्हें दिए गए कारण बताओ नोटिस पर केंद्र को अलापन बंदोपाध्याय का जवाब मिला है और इसकी जांच की जा रही है। आगे की कार्रवाई जल्द ही तय की जाएगी।

दरअसल, उन्हें आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत जारी नोटिस में 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ चक्रवात संबंधी समीक्षा बैठक से उनकी अनुपस्थिति को लेकर स्पष्टीकरण देने को कहा गया था। पश्चिम बंगाल सरकार ने भी इस मामले में अपना जवाब केंद्रीय गृह मंत्रालय को बृहस्पतिवार को भेज दिया जो जवाब भेजने का आखिरी दिन था।

सूत्रों ने बताया कि बंद्योपाध्याय का स्थान लेने वाले मुख्य सचिव एचके द्विवेदी ने जवाब लिखा है। हालांकि इसकी सामग्री के बारे में जानकारी नहीं मिली है। सूत्रों ने बताया कि बंदोपाध्याय ने अपने जवाब में कहा कि वह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर वह चक्रवात यास से बुरी तरह प्रभावित दीघा का जायजा लेने की वजह से उस बैठक में शामिल नहीं हुए।  दीघा पूर्व मेदिनीपुर जिले का एक लोकप्रिय समुद्री रिसॉर्ट शहर है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 31 मई को आपदा प्रबंधन कानून के सख्त प्रावधान के तहत बंद्योपाध्याय को 'कारण बताओ' नोटिस दिया था। इस प्रावधान के तहत किसी व्यक्ति को दो साल तक की कैद हो सकती है। केंद्र और ममता बनर्जी सरकार के बीच खींचतान के मध्य यह नोटिस जारी किया गया था। पश्चिम बंगाल कैडर के 1987 बैच के आईएएस अधिकारी बंद्योपाध्याय 31 मई को मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्त होने वाले थे। लेकिन कोविड महामारी के दौरान उनकी अहम भूमिका को लेकर राज्य ने हाल ही में उनके कार्यकाल को तीन महीने के लिए बढ़ाने की अनुमति मांगी थी और यह अनुमति मिल गयी थी।

लेकिन प्रधानमंत्री की चक्रवात समीक्षा बैठक में उनके तथा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के शामिल नहीं होने के बाद विवाद शुरू हो गया था और केंद्र ने बंदोपाध्याय के स्थानांतरण का निर्देश दिया था। इस बीच बंदोपाध्याय ने मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार के रूप में काम करना शुरू कर दिया।

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