मौजूदा WTC फाइनल के फॉर्मेट से सचिन तेंदुलकर खुश नहीं, बताया कैसा होना चाहिए | Khabare Purvanchal

नई दिल्ली. मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप (डब्ल्यूटीसी) के फाइनल के फॉर्मेट को लेकर कहा है कि यह बेस्ट ऑफ थ्री या एक सीरीज के तौर पर होना चाहिए था। सचिन ने कहा कि इसको लेकर आईसीसी के सामने कुछ चुनौतियां रही होंगी, लेकिन आगे जरूर इसमें बदलाव होगा। सचिन ने न्यूज18 इंडिया को दिए खास इंटरव्यू में भारत और न्यूजीलैंड के बीच शुक्रवार से साउथैम्प्टन में डब्ल्यूटीसी के फाइनल को लेकर कहा, 'आईसीसी को विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल के फॉर्मेट को लेकर जरूर काम करना चाहिए, ताकि फाइनल एक मैच का नहीं, बल्कि सीरीज की तरह खेला जाए।'

सचिन ने कहा कि, 'जब आप 50 ओवर का वर्ल्ड कप या टी-20 चैम्पियनशिप खेलते हैं, तो आप किसी भी टीम से एक बार भिड़ते हैं। ये इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस पूल में है। इसमें एक निरंतरता होती है और फिर आप फाइनल खेलते हैं। उस स्थिति में, एक फाइनल मैच होना सही है, लेकिन डब्ल्यूटीसी में भारत ने ऑस्ट्रेलिया से चार और इंग्लैंड से भी इतने ही मैच खेले और फिर आप अचानक फाइनल में पहुंच जाते हैं, जहां सिर्फ एक मैच ही खेला जाना है जोकि गलत है। ये डब्ल्यूटीसी फाइनल सीरीज होनी चाहिए। ऐसे में बेस्ट ऑफ थ्री मैच सही होते। यह तय किया जा सकता है कि आप उन मैच को कैसे खेलते हैं, एक घर में, एक विदेश में या जो भी तय होता, मुझे लगता है कि आईसीसी के सामने भी कई चुनौतियां रही होंगी और समय के साथ वे जरूर इसका समाधान निकाल लेंगे।'



विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल से पहले इंग्लैंड के मौसम और कंडीशंस की फाइनल में भूमिका के बारे में पूछे जाने पर सचिन ने कहा, 'कंडीशंस की इंग्लैंड में बड़ी भूमिका होती है। अगर पिच में घास है और आसमान में बादल छाए हुए हैं, तो फिर आपको शुरुआत में संभलकर खेलना होगा। एक बार आंखें जम जाने के बाद आप तेजी से रन बना सकते हैं, साउथैम्प्टन की पिच पर बल्लेबाजी की जा सकती है। फाइनल में भी कंडीशंस की भूमिका अहम होगी। पिच और बाउंस सिर्फ टीम इंडिया के लिए नहीं, बल्कि न्यूजीलैंड के लिए भी परेशानी हो सकती है।'

विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप में टीम इण्डिया के अंडर डॉग होने की चर्चा पर सचिन ने कहा, 'नहीं ऐसा बिल्कुल नहीं है, टीम इंडिया ने काफी अच्छी क्रिकेट खेली है। अगर आप पिछले ऑस्ट्रेलिया दौरे की ही बात करें तो करीब आठ-दस खिलाड़ी टीम से बाहर थे। उस समय बेंच पर बैठे खिलाड़ियों को मौका दिया गया। इसमें से कुछ तो सिर्फ नेट बॉलर की तरह टीम के साथ आए थे, लेकिन उन्होंने मुश्किल परिस्थितियों में शानदार प्रदर्शन किया। इससे पता चलता है कि टीम इंडिया के पास कितना टैलेंट है, इसलिए हम अंडरडॉग नहीं है। लेकिन ये बात सही है कि हमें मैच खेलने का मौका नहीं मिला है। न्यूजीलैंड के साथ अच्छी बात है कि उसने फाइनल से पहले इंग्लैंड के खिलाफ दो टेस्ट खेले हैं। वहीं, भारतीय टीम को मैच खेलने का मौका नहीं मिला है।'

टीम इंडिया के मौजूदा गेंदबाजी आक्रमण को लेकर सचिन ने कहा, 'मुझे तुलना पसंद नहीं है। मौजूदा गेंदबाजी आक्रमण में काफी विविधता है। मोहम्मद शमी तेजी से गेंदबाजी करते हैं, बुमराह का एक्शन एकदम अलग है, ईशांत ऊंचे कद के गेंदबाज हैं, उमेश और सिराज भी हैं, सभी एक दूसरे से अलग हैं। एक पैकेज के रूप में ये सभी कमाल के गेंदबाज हैं।' भारत को प्लेइंग-11 में रविचंद्नन अश्विन और रविंद्र जडेजा को शामिल करने के बारे में पूछने पर सचिन ने कहा, 'मैं प्लेइंग-11 तो नहीं बता सकता हूं, क्योंकि मैं हजारों किलोमीटर दूर बैठा हूं। न मैंने प्रैक्टिस मैच देखा है। टीम मैनेजमेंट को पता होगा कि कौन खिलाड़ी कैसा नजर आ रहा है। अश्विन और जडेजा के साथ बड़ा फायदा ये है कि दोनों बल्लेबाजी भी कर लेते हैं और पहले कई मौकों पर वो ये दिखा भी चुके हैं। निचले क्रम में आकर ये साझेदारी कर सकते हैं, ऐसे में दोनों को खिलाना अच्छा विकल्प हो सकता है।'

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