युवा शक्ति विकास द्विवेदी मंच का हुआ बिहार इकाई गठन | Khabare Purvanchal

मुंबई:साहित्यिक,सांस्कृतिक,सामाजिक संस्था युवा शक्ति विकास द्विवेदी साहित्यिक मंच के तत्वावधान में गुरूवार दिनांक 15 जुलाई 2021 सुबह 10 बजे कोविड-19 का पालन करते हुए वर्चुअल ब्रोडकास्ट पर बिहार इकाई हेतु नवीन कार्यकारिणी की गठन की गई।संस्था की राष्ट्रीय अध्यक्षा श्रीमती जया द्विवेदी (नई दिल्ली) की अध्यक्षता में मंच पर मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार चंद्रदेव दीक्षित (लखनऊ उप्र) उपस्थित थे तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार,पत्रकार कवि विनय शर्मा 'दीप' (मुंबई) एवं वरिष्ठ साहित्यकार डाॅक्टर शिवदत्त शर्मा (राजस्थान) उपस्थित थे।
उक्त कार्यक्रम का संचालन संस्था के संस्थापक विकास द्विवेदी ने किया । कार्यक्रम का संयोजन राष्ट्रीय प्रचार सचिव डाॅक्टर सुधा मिश्रा (मुख्य इकाई नई दिल्ली) ने किया और मंच पर बिहार इकाई की नव नियुक्त अध्यक्षा रानी मिश्रा मौजूद थी। पटल पर आमंत्रित साहित्यकारों के अतिरिक्त श्रोताओं का भी जमावड़ा था।बिहार इकाई के गठन पर आमंत्रित सभी विद्वजनों ने मंच की अनवरत,अविरल बहती साहित्य की धार को सराहा और माता वीणापाणि से प्रार्थना की कि युवा शक्ति विकास द्विवेदी मंच दिन दूना, रात चौगुना तरक्की करे एवं देश के सभी साहित्यकार उक्त मंच से जुड़े।सर्वप्रथम कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना से हुई,तत्पश्चात दो शब्द आशीर्वचन के रूप में विनय शर्मा दीप ने कहा--
सदा खुशहाल हो जीवन,यही आशीष देते हैं।
तमन्ना हो तेरी पूरी,यही आशीष देते हैं।
दिखा दे पा के ओ मंजिल,तेरा भी नाम हो जाये,
सफल हो उच्चश्रेणी में,यही आशीष देते हैं ।।

युवा कवि विकास द्विवेदी ने संचालन करते हुए सुन्दर लाइनें कह गये-----
 सफ़र में मुश्किलें आऐं, 
तो हिम्मत और बढ़ती है ....
         कोई अगर रास्ता रोके 
         तो जुर्रत और बढ़ती है। अगर बिकने पर आ जाओ 
तो घट जाते हैं दाम अक्सर.... 
         ना बिकने का इरादा हो 
         तो कीमत और बढ़ती है।

मुक्तक पढते हुए वरिष्ठ साहित्यकार चंद्रदेव दीक्षित ने कहा------
अभी तो आगाज ये मित्रों, असली उड़ान बाकी है।
 विश्व पटल पर छाए हिंदी, आस अभी यह बाकी है।
 अभी तो नापा देश ही अपना, बाकी है संसार अभी-
 कविता की धार बहाना औ प्यार लुटाना बाकी है।।

डाॅ सुधा मिश्रा ने प्रेम पराकाष्ठा पर प्रकाश डालते हुए कहा-----
ज़ब वो बाहें फैलाए मेरे आलिंगन में आता है,
सच कहूँ मन की सारी दुविधा मिटाता है l
ज़ब इस जगत की चालाकियों से मन होता नहीं बस में,
वो नाज़ुक से अधरों से मुझे प्रेम सिखाता है l

कवियत्री रानी मिश्रा ने स्वाभिमानी होने के गर्व को अपनी चंद पंक्तियों में कह दिया---
अभिमान नही कुछ पाने का,
नाहीँ कुछ खोने का गम है।
है स्वाभिमान अभी मरा नही, 
थोडे ही कीसी से कम नहीं ।।

अंत में संस्थापक,संचालक युवा कवि विकास द्विवेदी ने उपस्थित सभी साहित्यकारों,श्रोताओं को उनकी उपस्थिति हेतु धन्यवाद एवं आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम का समापन किया।

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