मुंबई : युवा शक्ति विकास द्विवेदी सामाजिक,सांस्कृतिक, साहित्यिक मंच,नई दिल्ली के तत्वावधान में बुधवार दिनांक 7 जुलाई 2021 को राष्ट्रीय अध्यक्षा जया द्विवेदी (नई दिल्ली) की अध्यक्षता एवं संस्थापक युवा कवि विकास द्विवेदी के भव्य संचालन में,हजारों श्रोताओं, साहित्यकारों की उपस्थिति में,कोविड-19 का पालन करते हुए वर्चुअल ब्रोडकास्ट,फेसबुक पेज पर यादगार कवि सम्मेलन संपन्न हुआ।कवि सम्मेलन का शुभारंभ माता वीणापाणि की वंदना से विनय शर्मा दीप ने किया,तत्पश्चात अपनी विधाओं से एक समा बांधा और छा गये।
माई सुरसती बार हजार हजार गुहार तहार लगावत बानी।
प्यार क भूखल बा लरिका तनिका से दरश जगावत बानी।।
दूसरे वरिष्ठ साहित्यकार वाराणसी से विजय नारायण मिश्र ने संस्कृत के श्लोक व उनके हिन्दी में रूपांतरित काव्यगंगा से आनंदित कर दिया------
नहि उपेक्षित हों जग में कहीं।
गुण स्वभाव व कर्म विचार से।
सतत हो अभियान विशेष ही ।
परिधि के नित नम्य विकास की।
सपरिवार समाज बने भला।
अलग क्यों न रहे विश धर्म में।
सब रखें सुरभी गण पुष्प सा।
अवनि के सुख नंद विकास की।
युवा कवि विकास द्विवेदी ने संचालन करते हुए खूबसूरत प्रस्तुति दी,न माँगो बूढी माँ से आजादी------
ये कैसी आज़ादी?
जो तूने बूढी माँ से माँगी थी।
रोटी टुके का करके बहाना,
पत्नी संग शहर जो जानी थी।
लेकर पत्नी तुम शहर गये,
बूढी माँ को तन्हा छोड़ गये।
कुछ ना सोचा आगे पीछे,
पत्नी के तुम प्रीत भये।
माँ ने तुमको आज़ाद किया,
खुद की रोटी सेक रही।
बूढी आँखे चूल्हे पर,
लकड़ी के धुएं झेल रही।
इन बूढी आँखों में आँसू,
ऐसे कैसे छोड़ गये?
साथ छोड़ बूढी माँ का,
तुम पत्नी के संग शहर गये।।
इसी प्रकार झांसी उत्तर प्रदेश से राजेश तिवारी मख्खन की उपस्थिति रही,जिनका नेटवर्क बराबर नहीं चल सका और अंत में संचालक द्विवेदी ने उपस्थित सभी साहित्यकारों का आभार व्यक्त किया तथा सम्मान-पत्र देकर सम्मानित किया और कवि सम्मेलन का समापन किया।
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