ड्रग्स की राजधानी में तब्दील होती मुंबई –अनिल गलगली


मुंबई। मुंबई, कहीं ड्रग्स की राजधानी तो नहीं बन रही है ? यह सवाल इसलिए उठता है क्योंकि पिछले 3 सालों में मुंबई पुलिस ने 208 ड्रग्स विरोधी मामले दर्ज किए हैं और 298 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। मुंबई पुलिस ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को सूचित किया है कि पिछले तीन वर्षों में 131 करोड़ रुपये मूल्य का 3414 किलोग्राम माल जब्त किया गया है। पिछले 3 साल में इस साल कार्रवाई 7 गुना बढ़ी है।आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने पिछले तीन वर्षों में मुंबई पुलिस से ड्रग्स और अन्य उत्तेजक पदार्थों के बारे में जानकारी मांगी थी। एंटी नारकोटिक्स सेल के सहायक पुलिस आयुक्त संदीप काले ने अनिल गलगली को क्षेत्रीय जानकारी दी हैं। कुल 5 इकाइयाँ कार्यरत हैं जिनमें दक्षिण क्षेत्रीय संभाग- आजाद मैदान इकाई, मध्य क्षेत्रीय संभाग- वरली इकाई, पश्चिम क्षेत्रीय संभाग- बांद्रा, पूर्वी क्षेत्रीय संभाग- घाटकोपर इकाई, उत्तर क्षेत्रीय संभाग- कांदिवली इकाई। अनिल गलगली को एनडीपीएस के तहत वर्ष 2019, वर्ष 2020 और वर्ष 2021 (20/10/2021 तक) तक की गई कार्रवाई से अवगत करा दिया गया है। इन विभिन्न ड्रग्स में कैनबिस, हशीश, एमडी, कोकीन, एमडीएमए, कोडीन, अफीम, एलएसडी पेपर, एल्परज़ोम, नेट्रावेट टैबलेट शामिल हैं।2019 और 2020 की तुलना में ड्रग्स विरोधी सेल 2021 में अधिक सक्रिय हो गया है और 20 अक्टूबर 2021 तक कार्रवाई 7 गुना बढ़ गई है। वर्ष 2019 में 1343 स्ट्रिप्स, 7577 बोतल और 1551 डॉट मिलीग्राम सहित 394.35 किलोग्राम माल जब्त किया गया था। कुल लागत 25.29 करोड़ रुपये है। वर्ष 2020 में 5191 बोतल, 66000 टैब 14 डॉट मिलीग्राम सहित 427.277 किलोग्राम माल जब्त किया गया। कुल लागत 22.24 करोड़ रुपये है। 20 अक्टूबर, 2021 को 2592.93 किलोग्राम माल जब्त किया गया और 83.19 करोड़ रुपये मूल्य के 15830 बोतलें और 189 एलएसडी कागज़ जब्त किए हैं।एंटी-नारकोटिक्स सेल ने वर्ष 2019 और वर्ष 2020 की तुलना में वर्ष 2021 में सबसे अधिक अपराध दर्ज किए और सबसे अधिक गिरफ्तारी भी हुई। 20 अक्टूबर, 2021 तक कुल 94 अपराध दर्ज किए जा चुके हैं जिनमें 137 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। वर्ष 2019 में 70 मामलों में 103 आरोपितों को गिरफ्तार किया गया, जबकि वर्ष 2020 में 44 मामले दर्ज किए गए जिनमें गिरफ्तार किए गए आरोपियों की संख्या 58 थी। अनिल गलगली के मुताबिक, अगर स्थानीय स्तर पर अपराध बढ़े हैं तो थाने की जिम्मेदारी तय की जाए. ऐसा इसलिए है क्योंकि ड्रग विरोधी प्रकोष्ठ को एक बार सूचना मिलने के बाद कार्रवाई  में समय लग जाता है और कभी-कभी आरोपी फरार हो जाता है। इसके लिए स्थानीय स्तर पर जन जागरूकता और कठोर कार्रवाई की उम्मीद है।

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