तुलिंज पुलिस ने फर्जी डॉक्टर सुनील वाडकर को किया गिरफ्तार


बलात्कार व  चोरी का आरोपी कैसे बना वैद्यकीय अधिकारी ? जनता का ज्वलंत सवाल ?

विगत 12 वर्षों से कर रहा था रोगियों के जीवन से खिलवाड़ !

वसई : पालघर जिले के वसई तालुका में 12 वर्षों से डॉक्टर के रूप में काम कर रहे सुनील वाडकर को  चिकित्सा पेशे के लिए आवश्यक योग्यता नहीं होने के बावजूद अवैध अस्पताल 'जे नोबल हॉस्पिटल' प्रगति नगर नालासोपारा पूर्व में चलाने के आरोप में 13 फरवरी 2022 रविवार दोपहर 3 बजे तुलिंज स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक राजेंद्र कांबले के मार्गदर्शन में डिटेक्शन ब्रांच की टीम के इंचार्ज सहायक पुलिस निरीक्षक एम डी म्हात्रे, ए एस आई सुतनासे, पुलिस कांस्टेबल गड़ाख,पुलिस कांस्टेबल शिन्देे, असफाक, जमादार,राउत सहित पूरी टीम ने गिरफ्तार करके 14 फरवरी को वसई कोर्ट में हाजिर किये वही वसई कोर्ट ने 18 फरवरी तक पुलिस कस्टडी में रखने का आदेश दिया।

प्राप्त जानकारी के अनुसार बोगस डॉक्टर वाडकर के खिलाफ तुलिंज पुलिस स्टेशन में गुनाह क्र-41/2022 दिनांक 18 जनवरी 2022 को शिकायतकर्ता डॉ- बिक्रम किरण राठौड़ ने महाराष्ट्र वैद्यकीय व्यवसाय अधिनियम 1961 के कलम 33,33ए, भा०द०स०420,419 के तहत दर्ज कराया था।जो कि बोगस डॉक्टर वाडकर 28 दिनों से फरार चल रहा था। वही तुलिंज पुलिस की खुपिया मुखबिर से तुलिंज पुलिस के डिटेक्शन इंचार्ज एम डी म्हात्रे को जैसे ही जानकारी मिली कि बोगस डॉ-वाडकर ने किसी से मिलने नालासोपारा पूर्व के फायर ब्रिगेड ऑफिस के पास आ रहा है। 
वही तुलिंज पुलिस की डिटेक्शन टीम ने अपना जाल बिछाया और अंततः बोगस डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया।कड़ी पूछताछ में धोखाधड़ी जैसे जुर्म कबूल किया। अभी तक बोगस डॉ- वाडकर पर विरार और तुलिंज पुलिस थानों में लगभग कुल मिलाकर आधा दर्जन  बलात्कार,धोखाधड़ी, चोरी जैसे संगीन मामले दर्ज है जिसमे चार गुनाह विरार पुलिस स्टेशन में बलात्कार ,बोगस डॉक्टर, बोगस हॉस्पिटल व दस्तावेज को इधर उधर करने (चोरी )जैसे चार मामले वही तुलिंज पुलिस स्टेशन में पहला मामला बलात्कार और दूसरा मामला बोगस हॉस्पिटल चलाने जैसे मामले दर्ज है। जिसमे बोगस डॉक्टर वाडकर ने पांच मामले में जबानत पर है।जांच से यह पता चला कि बोगस डॉक्टर वाडकर ने बिरवाड़ी म्हाण जिला रायगढ़ महाराष्ट्र से केवल 12वी कामर्स से पास किया है। उसके आगे की कोई भी डिग्री वाडकर के पास नही है।

    
वसई विरार शहर महानगर पालिका ने 2009-10 में ठेका का टेंडर जारी किया।जिसमें डॉ- आरती वाडकर ने टेंडर भरी और उसका टेंडर पास भी हो गया क्यो की वह डेंटिस ( दाँत) की डॉक्टर थी। इसी का फायदा उठाती हुई पूरी प्लान के साथ डॉ- आरती ने ठेके का टेंडर ली थी।और मनपा ने यह भी आदेश दिया था कि जिस किसी भी डॉ- को भर्ती होती है।सभी का कागद पत्र एक सप्ताह के अंदर मनपा में जमा करना है। वही एक कहावत है कि "सईंया भये कोतवाल तो अब डर कहे का "  सीधी सटीक बैठती है जिसकी बीबी ही सब कुछ है उसे किस तरह का डर है। आदेश तो निकल गया है।लेकिन जांच कौन करेगा कही न कही इस मामले में मनपा भी दोषी है। क्या यह जिम्मेदारी मनपा की नही बनती थी कि किसकी भर्ती ठेके पर की जा रही है।डॉ आरती वाडकर कही न कही मनपा के बड़े अधिकारियों की भी दिशाभूल की है। आरती वाडकर की  देख रेख में  ठेके पध्दति पर यह बोगस डॉक्टर सुनील वाडकर काम कर रहा था।

9 नवम्बर 2010 को आयुक्त ने एक पत्र के द्वारा डॉ- आरती वाडकर को बोला कि सुनील वाडकर को प्रभारी बैद्यकीय अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाय।अब यहा मनपा पर गम्भीर सवाल यह उठता है की मनपा ने सुनील वाडकर का ही नाम पत्र में क्यो लिया? कुछ समाजसेवियों ने यह भी कह रहे हैं कि इस बोगस डॉक्टर को प्रभारी बैद्यकीय अधिकारी बनाने में कही न कही डॉ-आरती वाडकर और मनपा के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ  आर्थिक लेन देन भी हुआ होगा ,ऐसा लोगो का कहना है। आगे की जांच अलग अलग पहलुओं पर तुलिंज पुलिस स्टेशन के डिटेक्शन ब्रांच के सहायक पुलिस निरीक्षक एम डी म्हात्रे कर रहे हैं।आगे और खुलासा होने की संभावना व्यक्त की जा रही हैं।

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