महा विकास आघाडी सरकार के दूसरे 'सचिन वझे' माने जा रहे हैं अतिरिक्त आयुक्त आशीष पाटिल
वसई : (संवाददाता) वसई विरार शहर महानगरपालिका वर्तमान में अनधिकृत निर्माणों का 'हब' बनती जा रही है, जिन्हें कि पालिका के सर्वे सर्वा अधिकारी माने जाने वाले मुक्त हस्त संरक्षण बताया जा रहा है। महाविकास आघाडी सरकार की कई हस्तियों के संरक्षण में आशीष पाटिल भूमाफियाओं से वसूली करा के लगभग 100 से 200 करोड़ के घोटाले को अंजाम दे चुके हैं और उनके कारनामें अब तक बखूबी जारी है।
प्राप्त जानकारियों के मुताबिक आशीष पाटिल अनधिकृत बांधकाम विभाग के प्रमुख रूप में वविश मनपा के अतिरिक्त आयुक्त पद पर नियुक्त हैं। सहायक आयुक्त, अतिक्रमण प्रमुख, ठेका अभियंता, परिमंडलीय उपायुक्त एवं यहां तक कि पालिका आयुक्त तक आशीष पाटिल के सामने मूल्यहीन अधिकारी बने हुए हैं। भूमाफियाओं व आशीष पाटिल के मध्य 'सेटिंग' होने के बाद ही अनधिकृत निर्माण शुरू जाते हैं। आशीष पाटिल की व्यक्तिगत किये मान्यता नुसार किये जाने वाले अनधिकृत निर्माणों के विरुद्ध पालिका प्रशासन कोई नोटिस जारी नहीं करता है। पालिका कार्यालय में इन अवैध निर्माणों की कोई सूची या रिपोर्ट तैयार नहीं की जाती है। अनधिकृत निर्माणों की खोज करने व सूची तैयार करने में जो कर्मचारी ठेका पध्दति पर नियुक्त किये गये हैं, वे मात्र वसूली का ही कार्य करते हैं।
अनुमान लगाया गया है कि विगत डेढ़ वर्षों के दौरान लगभग 50 लाख वर्ग फीट क्षेत्रफल से अधिक जमीन पर अनधिकृत निर्माण हुए हैं, जिनकी कोई सूची या दस्तावेज पालिका कार्यालय में प्रविष्ट नहीं है। अतिरिक्त आयुक्त आशीष पाटिल ने 200/ रुपये प्रतिवर्गफुट वसूली कराई है। स्थानीय जनों में चर्चा है कि अतिरिक्त आयुक्त आशीष पाटिल, महा विकास आघाड़ी की सरकार का दूसरा 'सचिन वझे' सिद्ध हो रहा है, जो अनधिकृत निर्माण कर्ताओं को संरक्षण देकर सौ से दो सौ करोड़ की वसूली करने में सफल रहा है, जिसका जीता जागता प्रमाण वसई तालुका में हो चुके सैकड़ों अनधिकृत निर्माण हैं।
यह भी अत्यन्त रोचक तथ्य है कि महा विकास आघाड़ी के महत्व पूर्ण पदों पर आसीन मंत्रीयों व सरकारी अधिकारियों के आशीर्वाद से वविश मनपा के अतिरिक्त आयुक्त आशीष पाटिल 'एको ऽ हम् द्वितीयों नास्ति' की तर्ज पर पालिका प्रशासन में सर्व अधिकार सम्पन्न अधिकारी बन चुके हैं। यहां तक कि पालिका आयुक्त तक की नियुक्ति या स्थानांतरण उनकी मर्जी से होता है। अनधिकृत निर्माणों व अयोग्य ठेकेदारों के विरुद्ध की जाने वाली शिकायतों पर कोई अधिकारी कारवाई करने की हिम्मत नहीं कर पाता है, जिससे शारी शिकायतें रद्दी की टोकरी का साजो सामान बन कर रह गई है।
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