वरिष्ठ साहित्यकारों के बीच नई सदी के स्वर भाग दो, का लोकार्पण संपन्न


वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ।शिक्षा शास्त्र के  संगोष्ठी हाल में  धूमधाम के साथ "नयी सदी के स्वर " भाग-दो समवेत  काव्य संग्रह  का लोकार्पण समारोह  सम्पन्न हुआ । अध्यक्ष प्रो राजाराम शुक्ल पूर्व कुलपति संम्पूरणानंद संस्कृति विश्वविद्यालय ,मुख्य अतिथि डाॅ शीतला प्रसाद दुबे _कार्याध्यक्ष (पूर्व)-महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी, मुंबई, प्रो राममोहन पाठक_कुलपति (दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा, चेन्नई, वरिष्ठ साहित्यकार कवि प्रो वशिष्ठ अनूप_काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, मुख्य वक्ता प्रो अर्जुन चह्वाण_ शिवा जी विश्वविद्यालय, कोल्हापुर, महाराष्ट्र, सुभाष चंद्र दुबे_ अपर पुलिस अधीक्षक, वाराणसी, प्रो निरंजन सहाय_ कुलानुशासक, हिन्दी विभागाध्यक्ष,महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ,डाॅ केशव जालान भाईजी_संरक्षक -साहित्य संपादक कविताम्बरा, संरक्षक विश्व हिंदी शोध-संवर्धन अकादमी,श्री नारायण खेमका, प्रबंध संपादक-कविताम्बरा, प्रो अनुराग कुमार _महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ,युवा कवयित्री सुरभि सिंह कर्नाटक ,डाॅ रोशनी किरन दुबे मुम्बई, डाॅ शिवानी पाण्डेय अयोध्या, डाॅ उपासना दीक्षित गाजियाबाद, डाॅ एल बी तिवारी अक्श प्रतापगढ़, दयानिधि मिश्र, युवा कवि प्रभात मिश्र, डाॅ नशीमा निशा, डाॅ प्रतिभा प्रभा,  प्रतिभा गुप्ता, गोरखपुर, डाॅ प्रियंका सिंह, निधि देव अग्रवाल, नवल किशोर गुप्ता, करुणा  सिंह, कवि भोलानाथ त्रिपाठी विह्वल, कवि योगेन्द्र नारायण वियोगी,डाॅ मुक्ता, सी एन पाल, राम नरेश नरेश, डाॅ ज्योत्स्ना प्रवाह,  ब्रजेश पाण्डेय, आलोक सिंह, कवि अख्लाक खान भारतीय, विकास पाण्डेय, जयप्रकाश धानापुरी, संतोष प्रीत, कंचन सिंह परिहार, दीनानाथ द्विवेदी रंग, डाॅ जटासंकर देव पाण्डेय, विजय शंकर पांडेय, गौरी शंकर तिवारी, डाॅ वेद प्रकाश पाण्डेय ,श्याम सुन्दर पाण्डेय,  पाण्डेय, सिद्धनाथ शर्मा, नरोत्तम शिल्पी, मणिबेन द्विवेदी समेत लगभग 350 प्रतिष्ठित कवियों की उपस्थिति रही ।संचालन प्रसिद्ध साहित्यकार  डाॅ रामसुधार सिंह, प्रो निरंजन सहाय जी तथा प्रशन्न वदन चतुर्वेदी ने किया। इस लोकार्पण समारोह में कुछ कवि, कवयित्री को सम्मान _ पत्र भी दिए गए जिसमें डॉ रोशनी किरण को " साहित्य गौरव  " का सम्मान मिला। इस आयोजन के कर्णधार मधुकर मिश्र,जो कि " नई सदी के स्वर " के सम्पादक हैं और विश्व हिंदी शोध एवं संवर्धन अकादमी , कविताम्बरा त्रैमासिक पत्रिका के जनक हैं ।

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