साहित्यिक संस्था कोशिश की यादगार रही कविगोष्ठी


जौनपुर। रामेश्वर सिंह शिशु विहार जौनपुर के परिसर में साहित्यिक संस्था कोशिश की मासिक काव्य गोष्ठी प्रो पी सी विश्वकर्मा की अध्यक्षता में आयोजित हुई।जनार्दन अष्ठाना की वाणी वंदना के पश्चात प्रख्यात शायर अहमद निसार ने जब पढ़ा मैं फरिश्ता तो नहीं हो सकता,मेरे हिस्से में खता आई है।तो  श्रोताओं को संवेदित कर दिया गिरीश जी का मुक्तक अपनी कोशिश है कि बुझते चराग जल जाए।आशावाद का संदेश दे गया।प्रखर जी की कविता,गजलों में हो रवानी तो हर वक्त ईद है।एकता का संदेश दे गई। प्रो आर. एन. सिंह ने आज नही तो कल निकलेगा हर मुश्किल का हल निकलेगा।सुनाकर  मानवीय मूल्यों का आभास कराया।मुंबई से पधारे विनय शर्मा दीप ने अपने सवैया से मातृ भूमि की वंदना की। गोष्ठी में रामजीत मिश्र,आसिफ़ फरुखावावादी,संजय सागर,अमृत प्रकाश,सुशील दुबे,राजेश पांडे,फूल चंद भारती,रविद्र शर्मा दीप,लाल बहादुर यादव कमल, आशुतोष पाल,आशिक जौनपुरी, समीर,उमेश मिश्र, शारदा प्रसाद दुबे‌ शरतचंद्र,सी बी यादव,सोमेंद्र त्रिपाठी, शिव कुमार,रूपेश साथी ने काव्य पाठ से श्रोताओं को आह्लादित किया।मुख्य अतिथि विनय शर्मा दीप एवं विशिष्ट अतिथि लाल बहादुर यादव कमल का कोशिश ने अंग वस्त्रम से सम्मान किया।मुंबई से उपस्थित उमेश मिश्रा और शारदा प्रसाद दुबे का भी अंग वस्त्र देकर सम्मान किया गया।संचालन अशोक मिश्र ने और आभार ज्ञापन डॉक्टर विमला सिंह ने किया।

Post a Comment

0 Comments