कुंभकरण निद्रा में नगर निगम और प्रशासन

 

गंदे नाले में तब्दील होती देहरादून की रिस्पना नदी

देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी भले ही देहरादून हो और स्मार्ट सिटी की तर्ज पर इसका विकास करने का उत्तराखंड सरकार दावा करती हो, लेकिन जमीनी सच्चाई बिल्कुल अलग है। राजधानी होने के बावजूद पूरे देहरादून में गन्दगी पसरी होती है। यहां तक कि देहरादून से निकली हुई रिस्पना नदी में भी गन्दगी इतना अंबार लगा होता है कि विश्वास करना मुश्किल होता कि यह सचमुच की कोई नदी भी है या सिर्फ एक गंदा नाला भर है। देहरादून में अधोईवाला सेकंड में शिव मंदिर के पास से गुजरने वाली  रिस्पना नदी में गंदगी का इतना ढेर लगा है कि यकीन करना मुश्किल होता है कि यह रिस्पना नदी है और यह गंगा में जाकर भी मिलती होगी। नदी के ऊपर एक पुल है जो अधोईवाला सेकंड को करनपुर रोड से जोड़ता है। नदी में गंदगी का अंबार लगा हुआ है. चारों तरफ गंदगी की वजह से बदबू ही बदबू फैली रहती है।  नदी में जहां गंदगी है वहीं सुवरों का झुंड नदी में विचरण करते रहते हैं. गंदगी की वजह से स्थानीय जनता को तरह तरह की बिमारियां लगाती रहती हैं. बरसात में नदी की हालत बेहद खराब हो जाती है। कचरे का ढेर जमा होने की वजह से बरसाती पानी से आस पास के क्षेत्र में बाढ़ जैसे हालत हो जाते हैं और लोगों के घरों में पानी घुस जाता है. यही गंदगी बह कर मुख्य गंगा नदी में मिल कर उसे भी कलुषित कर देती है।  नदी में इतनी गंदगी होने के बावजूद भी देहरादून का नगर निगम और प्रशासन कोई कार्यवाही नहीं करता, जिससे नदी के पास रहने वाले लोग नारकीय जीवन जीने को विवश हैं।

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