नशे के आगोश में नालासोपारा

सारा सच जानता है पुलिसवाला!

पुलिस आयुक्त सदानंद दाते को संज्ञान लेने की सख्त आवश्यकता महसूस कर रहे हैं शहरवासी!!

वसई-विरार।

मुंबई के वेस्टर्न लाईन में विरार से पहले नालासोपारा आता है। इस शहर की आबादी का आंकलन इस बात से ही किया जा सकता है कि, यहां से मुंबई के मुख्य स्टेशन चर्चगेट के लिए चलनेवाली लोकल ट्रेन पूरी तरह भरती भी है और खाली भी होती है। गरीब, निम्नमध्यवर्गीय, मध्यमवर्गीय लोगों के रहने का ठिकाना नालासोपारा के नाम से जुमले और कवायत भी लोगों की जुबान पर चलते रहते हैं! इस शहरवासियों की मूलभूत सुविधाओं के लिये वसई-विरार शहर महानगरपालिका ने जिम्मेदारी उठाई हुई है और पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी मिरा-भाईंदर, वसई-विरार शहर के संयुक्त आयुक्तालय के अधीन है। इस शहर की इतनी बडी आबादी के सभी लोग टैक्स भरते हैं। इसके बावजूद शहर के लोगों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पा रही है। दुखद बात यह है कि, इस शहर में नशीले पदार्थो का कारोबार करनेवाले अपनी गहरी पैठ बना चुके हैं। अनेक क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के नशीले पदार्थों की बिक्री खुलेआम चल रही है। युवा पीढी उन नशीले पदार्थों की आगोश में अपने परिवार और समाज सहित देश का नुकसान करने पर अप्रत्यक्ष रूप से अहम भूमिका निभा रहे हैं। सवाल यह उठता है कि, क्या पुलिस प्रशासन को नशीले पदार्थों के कारोबारियों के विषय में जानकारी प्राप्त नहीं है? अगर नहीं है तो किस काम की पुलिस? और अगर है तो इसका पूरी तरह से सफाया क्यों नहीं किया जाता?
समाज के बुद्धिजीवियों का कहना है कि, पुलिस प्रशासन में बैठे भ्रष्ट अधिकारियों एवं कर्मचारियों के कारण ही यह परिस्थिति बनी हुई है, अन्यथा शहर में कोई भी माई का लाल नशे का कारोबार नहीं कर सकता। लोगों का तो यह भी कहना है कि, भ्रष्ट पुलिस अधिकारी और कर्मचारियों की हप्ता वसूली के कारण ही नशे के कारोबारी अपने कारोबार का विस्तार कर रहे हैं और परिवारों, शहर, राज्य सहित देश को खोखला कर रहे हैं। पुलिस आयुक्त सदानंद दाते को इस संदर्भ में संज्ञान लेते हुए कडे निर्णय लेने की आवश्यकता शहर के जागरूक नागरिक महसूस कर रहे हैं।

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