आनंद


आनंद संग आनंदित होना कितना अच्छा।
आनंद से आनंदमय होना कितना प्यारा।।

आनंद के प्रतिभा का आनंद सबसे न्यारा।
हर कोई आनंदित होकर सीखे गाथा।।

आनंद संग आनंदित होना कितना अच्छा।
आनंद से आनंदमय होना कितना प्यारा।।

आनंद योद्धा ज्ञानी है, पर सबसे विनम्र शाली है।
करे ज्ञान-विज्ञान की बाते यह आनंद अवतारी है।। 

क्षमा, याचना व मौलिकता का अभिमानी है।
शोध करा लो ऐसा कोई नहीं स्वाभिमानी है ।।

आनंद संग आनंदित होना कितना अच्छा।
आनंद से आनंदमय होना कितना प्यारा।।

पुलक पुंज आनंदित होता प्रकाशमय बन जाता।
प्रभात पुंज-सा बिखेर देता अपनी चहु दिश छाया।।

विवेक-बुद्घि की परिभाषा आनंद सबको देता।
कहता मिल जुलकर ही आपस में सब रहना।।

आनंद संग आनंदित होना कितना अच्छा।
आनंद से आनंदमय होना कितना प्यारा।।

पीकर घुट अपमान का, सम्मानित जीवन जीता है,
पर स्वाभिमान से समझौता कभी नहीं करता है।

धिक्कारा कायरों ने आनंद को, खुद वह भयभीत हुआ।
आनंद ने जब ललकारा, तब लंका रावण दूर हुआ।

आनंद संग आनंदित होना कितना अच्छा।
आनंद से आनंदमय होना कितना प्यारा।।

सादा जीवन उच्च विचार, आनंद का यह मूल विचार।
करें विरोध बुराई का, अंध भक्त चतुराई का।


कवि- *राजेन्द्र प्रसाद ठाकुर*
ए/301, नाकोड़ा दर्शन, बगल में- राजमाता नगर, अचोल रोड नालासोपारा (पूर्व) जिला-पालघर 401209
मो. 9967777524

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