भाई दूज के उपलक्ष में अग्निशिखा मंच का काव्य सम्मेलन संपन्न

 

मुंबई। अखिल भारतीय  अग्निशिखा मंच एक सामाजिक साहित्यिक संस्था है,जो कई वर्षों से सामाजिक और साहित्यिक कार्यक्रमों को गति प्रदान करती आ रही है उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए।
भाई बहन के पावन पर्व पर एक कवि सम्मेलन ऑनलाइन रखा गया जिसका विषय था भाई दूज इस कार्यक्रम का संचालन किया अलका पांडे ने इसके समारोह अध्यक्ष रहे राम राय , मुख्य अतिथि की भूमिका निभाई डॉ कुंवर वीर सिंह मार्तंड और विशेष अतिथि के रुप में पधारे संतोष साहू ,आशा जाकर ,जनार्दन सिंह शिवपूजन पांडे , पन्ना लाल  शर्मा आदि कार्यक्रम में करीब 40 कवियों ने अपनी शानदार रचनाओं से मंच को गुलजार किया सभी ने भाई बहन के पावन पर्व भाई दूज पर अपनी स्वरचित रचनाओं का पाठ किया सभी रचनाकारों को एक सम्मान पत्र देकर मंच की अध्यक्षा अलका पांडे ने सम्मान किया और कहा कि बहुत जल्दी ही हम एक ऑफलाइन कवि सम्मेलन कराने जा रहे हैं 
कवियों की लाइने कुछ इस प्रकार थी

मन में खुशियों के दीप बंदनवार जल रहे
भाई भतीजों के उपहार अनमोल से लगें
सदा के लिए यह स्नेहल रिश्ता बना रहे 
ऐसे बहना हर साल भाई दूज मनाती रहे।

डॉक्टर अंजुल कंसल "कनुप्रिया"
 अपने पिता के इस घर में
मेरी यादों को संजोए रखना
अपने बच्चों के मन में
बुआ का मान बनाए रखना
बेटी हूँ सदा इस घर की
मेरा सम्मान बनाए रखना !

चंद्रिका व्यास
खारघर नवी मुंबई
 यह अद्भुत निस्वार्थ रिश्ता प्रभु ने बनाया है।
यम और यमुना भाई बहन के
प्रेम का संसार ने गुण गाया।

भानुजा ने भी भाई के लम्बी आयु आरोग्य लिए।
प्रभू से भाई दूज के दिन भाई के लिए अरदास लगाया है।

बृज किशोरी त्रिपाठी गोरखपुर उत्तर प्रदेश
 पर्व भाई दूज आया, 
खुशियों की है ये छाया,
अटूट रहे ये रिश्ता, 
*रूमाल सजाती है।*

आनन्द भाई दूज का, 
बंधन है विश्वास का,
मिठास बनाने हेतु, 
*रिश्तों को मिलाती है।*

वैष्णो खत्री
 आजा मेरे प्यारे भैया! तुझे दही रोली का तिलक लगाऊं
छाई है घर आंगन में खुशियां
आईं आई है बहने भाई को शुभ तिलक लगाने
भाभी को सौभाग्य शती होने का आशीष देने
आया है भाई दूज का पावन पर्व
घर आंगन में खुशियां मनाएं।

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