जौनपुर। साहित्यिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संस्था कोशिश साबर मंत्र की मासिक गोष्ठी शिक्षाविद और ख्यात कवि प्रो.पी.सी. विश्वकर्मा की अध्यक्षता में रासमंडल,जौनपुर में आयोजित की गई।सरस्वती वंदना के पश्चात सुमति श्रीवास्तव की कविता मैं--सुनो, मैं जिंदा हूँ नारी विमर्श पर प्रकाश डाल गई। रामजीत मिश्र की रचना--बहुत पी चुकी खूं जमीं आदमी की युद्ध की भयावह तस्वीर खींच गई। कवि विनय शर्मा दीप का गीत खुशबू आए फुलवारी से ऐसा फूल खिलाना होगा, एकता संदेश दे गया। गिरीश कुमार का मुक्तक--खबर हिचकियों से उन्हें भेज देंगें, चले आयेंगे वे बुलाने से पहले।प्रेम का गहन भाव दर्शन करा गया। प्रखर जी का शेर -हम भ्रमित मधुमास लेकर क्या करेंगें-विसंगति का चित्रण कर गया। अशोक मिश्र ने जब पढ़ा--मै देश-भक्ति का परचम हूँ,मैं आजादी का राग हूँ,मैं जलियांवाला बाग हूँ।गोष्ठी में देशप्रेम का उत्साह भर गया।जनार्दन अष्ठाना का चैता -आ गई चैत महिनवां हो रामा, पिया नाहीं अइलेन।वियोग का मार्मिक वर्णन कर दिया। प्रो. आर. एन.सिंह ने--आता नहीं समझ में लोकतंत्र कहाँ है-राजनीति का विद्रूप चेहरा दिखाया। प्रेम जौनपुरी कविता -मर्यादा पुरुषोत्तम राम - मानवीय मूल्य को रेखांकित कर गई. गोष्ठी में ओ.पी.खरे,अनिल उपाध्याय, श्रीमती दमयंती सिंह,राजेश पांडेय, डाक्टर संजय सागर,कलाधर यादव,फूलचंद भारती,अंसार जौनपुरी,रविंद्र कुमार शर्मा दीप,नंद लाल समीर,सुरेंद्र यादव,डाक्टर आर. के.अष्ठाना आदि उपस्थित होकर अपनी रचनाधर्मिता से गोष्ठी को सफल बनाया।संचालन जनार्दन अष्ठाना पथिक और आभार ज्ञापन प्रो. आर. एन. सिंह ने किया।
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