भारतीय संस्कृति और लोक-मंगल के कवि थे गोस्वामी तुलसीदास --आशीष शेलार

मुंबई। महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी और साठ्ये काॅलेज विलेपार्ले मुंबई के संयुक्त तत्वावधान में गोस्वामी तुलसीदास जयंती समारोह आयोजित किया गया। सरस्वती वंदना तथा महाराष्ट्र राज्य गीत से कार्यक्रम की शुरुआत की गई। मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए विधायक आशीष शेलार ने गोस्वामी तुलसीदास को भारतीय संस्कृति का पुरोधा कवि उद्धृत करते हुए कहा कि वे अपने समय की सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक परिस्थितियों के प्रति सचेत थे। सच्चे अर्थों में वे लोक-मंगल के कवि थे।यह सुखद संयोग है कि आज गोस्वामी तुलसीदास की जयंती पर भारत का चंद्रयान3 चांद को चूमने के लिए तैयार है। अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए सुधाकर मिश्र ने गोस्वामी जी की लोक- मर्यादा संबंधी चौपाइयों को उद्धृत करते हुए कहा कि वर्तमान समय में कवि की उक्तियां उतनी ही प्रेरणादायक हैं। विघटनकारी स्थितियों से बाहर निकाल कर रचनात्मक दृष्टि देने का कार्य करती हैं उनकी रचनाएं। बीजवक्तव्य देते हुए वीरेंद्र याग्निक ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास को जानना है तो गिरमिटिया देशों में जाकर देखना चाहिए कि कैसे गरीब मजदूरों ने तुलसीदास कृत श्रीरामचरितमानस और हनुमान चालीसा के सहारे अपनी जीवनी- शक्ति बचाए रखी ।आज वे ही उन देशों के प्रशासकीय दायित्व का निर्वाह कर रहे हैं। तुलसीदास ‌ऐसे कवि‌ हैं,जो स्वाभिमान, स्वधर्म और स्वसंस्कृति के संरक्षण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। विशेष अतिथि अमरजीत मिश्र ने कहा कि जब विज्ञान को जानने- समझने का प्रयास विदेशी कर रहे थे, ऐसे समय में गोस्वामी तुलसीदास ने 'राम रसायन‌ तुम्हरे पासा ' की अवधारणा को रेखांकित करते हुए उसी में जीवन के समस्त सुखों को देखने की दृष्टि दी।अभाव और संघर्षों से सफलता एवं संतुष्टि की सच्ची राह दिखाई। मंजू लोढ़ा ने गोस्वामी तुलसीदास की भक्ति को जीवन का अमूल्य मंत्र मानते हुए कहा कि भक्ति ही वह शक्ति है जिसके माध्यम से मानव- जीवन सार्थक हो सकता है।प्रस्ताविकी प्रस्तुत करते हुए महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष शीतला प्रसाद दुबे ने गोस्वामी तुलसीदास -जयंती संबंधित कार्यक्रम का उद्देश्य बताते हुए कहा कि अकादमी विषय केंद्रित कार्यक्रमों के साथ ही रचनात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाले संतों, कवियों तथा सामाजिक सरोकार के विद्वानों से जुड़े कार्यक्रम पूरे महाराष्ट्र राज्य आयोजित करने के प्रति प्रतिबद्ध है। काॅलेज के प्राचार्य मानव राजवाड़े ने उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया। हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रदीप सिंह ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। संयोजक महात्मा पांडेय के कुशल संचालन में कार्यक्रम संपन्न हुआ। अकादमी के सदस्य मार्कंडेय त्रिपाठी, श्याम शर्मा, गजानन महतपुरकर के साथ ही रवीन्द्र कात्यायन,अवधेश राय, रोशनी किरण, संध्या गर्जे, संतोष दीक्षित, राकेश सिंह,रवि दुबे आदि गणमान्य लोग और भारी संख्या में हिंदी प्रेमी तथा विद्यार्थी उपस्थित थे। राष्ट्र गान के कार्यक्रम का समापन हुआ।

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