बांधूं तुम्हे प्रीत की डोर भैया,
कभी न टूटे ऐसी गांठ भैया। श्रावण मास की पूर्णिमा आई, भाई बहन के प्यार का बंधन साथ में लाई।
भाई-बहन का प्यारा नाता,
अपनेपन से भरा यह नाता।
एक-दूजे के सुख-दुःख के साथी हम,
निस्वार्थ स्नेह की परिभाषा हम।
एक घर में जन्में, साथ-साथ पले बढें हम,
मां-बाबा की आंखो के तारे हम। सज धज कर थाल सजाकर भाई के घर जाती बहन,
भाई के भाल पर तिलक लगाती बहन।
आशीर्वादों की बौधारें निछावर करती बहन,
भाई के लिये ईश्वर से ढेरों प्रार्थनाएं करती बहन। रक्षा का वचन देता भाई, साथ में ढेरों उपहार भी देता भाई।
भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना ,
इस रिश्ते को अंतिम सांस तक निभाना।
श्रीमती मंजू मंगल प्रभात लोढ़ा
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