रक्षाबंधन

राखी बंधन पर चंदन लगा के रह,
बहियां सजा के रह ना।

माताजी के प्रिय ललनवां,
हमरो एकला बिरनवां।
अपने बहना के मन से ना भुला के रह।। 
बहियां सजा ०।।

माता कह रही संदेश, 
सहे हम बहुत कलेश।
उनके दुधवा के लजिया बचा के रह।। 
बहियां सजा०।।

चीन -पाक दुश्मनवां, 
लेवै चाहेला वतनवा। 
दूध छट्ठी के याद तू कराके रह।।
बहियां सजा०।।

आए पर देबै मिठाई, 
लेबै राखी के बंधाई।
"अच्छे" बिरना के जुग जुग जियाके रह।। 
बहियां सजा०।।

कवि-अच्छेलाल पाठक

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