महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा "भारतीय ज्ञान परम्परा, भक्ति काल और रामचरित मानस" पर राष्ट्रीय संगोष्ठी

मुंबई।महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी, मुंबई और गामदेवी स्थित बी. एम. रुइया महिला महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में 'भारतीय ज्ञान परम्परा, भक्तिकाल और श्रीरामचरितमानस' विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन मंगलवार, 19 दिसम्बर, 2023 को सम्पन्न हुआ।
   बी. एम. रुइया महिला महाविद्यालय के सभागार में आयोजित इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता मारवाड़ी सम्मेलन संस्था के अध्यक्ष एडवोकेट सुशील व्यास ने की। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि हमारा समाज शत्रुघ्न की भूमिका का निर्वाह करते हुए बिना सामने आये समाज, शिक्षा और संस्कृति का सर्वश्रेष्ठ कार्य करने में विश्वास रखता है। अकादमी के कार्याध्यक्ष डॉ. शीतला प्रसाद दुबे ने बीज वक्तव्य देते हुए कहा कि श्रीरामचरितमानस में जीवन मूल्यों की प्रतिष्ठा के साथ ही जीवन के विविध संदर्भों को उद्घाटित किया गया है। उन्होंने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने अहंकार को त्याग कर सहज अभिव्यक्ति के साथ प्रभु श्रीराम में हृदय लगाने का मार्ग प्रशस्त किया। बी.एम.रुइया काॅलेज की प्राचार्या डॉ संतोष कौल काक ने उपस्थित अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रास्ताविकी प्रस्तुत की। प्रथम सत्र की अध्यक्षता करते हुए डॉ. सतीश पांडेय ने श्रीरामचरितमानस में अनुस्यूत मूल्यों की विस्तृत विवेचना की। डॉ. श्याम सुंदर पांडेय, डॉ. उर्मिला सिंह, डॉ. मासीवाल तथा डॉ. त्यागी ने विविध विषयों पर अपना अभिपत्र प्रस्तुत किया। तृतीय सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रसिद्ध कवि एवं साहित्यकार डॉ. सुधाकर मिश्र ने कहा कि श्रीरामचरितमानस विश्व -ज्ञान -कोष का अप्रतिम ग्रंथ है। इसमें भारतीय नारी की प्रतीक माता सीता को तीन-तीन बार आशीष प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास की काव्य -कुशलता ने इसे विशेष ऊॅंचाई प्रदान की है। इस सत्र में डॉ. सत्यवती चौबे और डॉ. भगवती प्रसाद उपाध्याय ने भी अपने विचार व्यक्त किए। समापन सत्र की मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय की प्रकुलगुरु डॉ. रूबी ओझा ने महाविद्यालय की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसे विषय पर संगोष्ठी आयोजित कर नयी पीढ़ी को अच्छे संस्कार देने का पुनीत कार्य महाविद्यालय बखूबी कर रहा‌ है, जो काफी सराहनीय है। विशेष अतिथि के रूप में महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी की उपाध्यक्षा डॉ. मंजू लोढ़ा ने अपनी काव्यात्मक अभिव्यक्ति से विद्यार्थियों को जागृत कर दिया। संगोष्ठी के संचालन का दायित्व डॉ सुनीता मिश्रा और डॉ. राम लखन पाल ने पूरा किया। महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्यकारी सदस्य प्रो. मार्कंडेय त्रिपाठी और गजानन महतपुरकर के अलावा हिंदी सेवी सुश्री सुनीता चौहान सहित सैकड़ों विद्वानों, शिक्षिकाओं और छात्राओं की उपस्थिति में संगोष्ठी सम्पन्न हुई। अंत में अहमद फ़राज़ खान की भजन संध्या ने लोगों का मन मोह लिया।

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