गीता का संदेश जन-जन तक पहुंचाने की आवश्यकता – डॉ. ओमप्रकाश दुबे

वसई। 'श्रीमद्भगवद्गीता भारतीय संस्कृति का गौरव ग्रंथ है।इस गूढ़ ग्रंथ को सरल हिंदी दोहा में प्रस्तुत कर कवि रास बिहारी पाण्डेय ने हमें अपना ऋणी बना लिया है। गीता का संदेश जन जन तक पहुंचाने के लिए गीता जयंती जैसे समारोह और उसमें कवि, लेखकों, विचारकों का समागम अत्यंत सराहनीय है।'उक्त विचार नालासोपारा मेडिकल कॉलेज के निदेशक डॉ.ओमप्रकाश दुबे ने गीता जयंती पर आयोजित कवि सम्मेलन में व्यक्त किए। वरिष्ठ पत्रकार अभिलाष अवस्थी ने कहा कि गीता ज्ञान को सभी धर्मों और पंथों के लोगों ने एक स्वर से स्वीकार किया है। गीता के संदेश को हृदयंगम किए बिना हम जीवन का यथार्थ नहीं समझ सकते। ग्रंथ के अनुवादक कवि रास बिहारी पाण्डेय ने गीता पर व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए अनुदित दोहों का सुमधुर स्वर में पाठ किया।
नरसिंह के. दुबे चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष जयप्रकाश दुबे की अध्यक्षता में आयोजित इस समारोह में मुंबई के शताधिक संस्कृतिकर्मियों ने भाग लिया।कवि सम्मेलन में अरुण दुबे,राजीव मिश्र मधुकर,विवेक सिंह,शिव प्रकाश जमदग्निपुरी,राम सिंह,हरीश शर्मा 'यमदूत',अनुराग आरसी,रामकुमार वर्मा,अन्नपूर्णा गुप्ता,बिट्टू जैन,रीमाराय सिंह,अंजनी कुमार द्विवेदी,जाकिर हुसैन 'रहबर',राजेश दुबे अल्हड़,आनंद पाण्डेय,कल्पेश यादव,जवाहर लाल निर्झर,इंदु मिश्रा,रीता कुशवाहा ने काव्य पाठ किया।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि थे- देवेंद्र तिवारी (महामंत्री, उत्तर भारतीय संघ,मुंबई) और ददन सिंह (संस्थापक राजपूताना परिवार)। आभार ज्ञापन रामव्यास उपाध्याय ने किया।नरसिंह के.दुबे चैरिटेबल ट्रस्ट और साहित्यिक संस्था 'रसराज' द्वारा आयोजित इस समारोह का संचालन चंद्रभूषण शुक्ला ने किया।

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