दिव्यांगों के स्वावलंबन के लिए संस्कृति मानव सेवा संस्थान के अनूठे प्रशिक्षण केन्द्र ने पूरा किया 11 वर्षों का कामयाब सफ़र

मुंबई: दिव्यांग जनों के लिए स्वाभिमान और स्वावलम्बन के सुअवसर सुनिश्चित करने के उद्देश्य से गुजरात के अहमदाबाद में संस्कृति मानव सेवा संस्थान द्वारा वर्ष 2013 में स्थापित प्रशिक्षण केंद्र ने अपना 11 वर्षों का कामयाब सफ़र पूरा कर लिया है।
        समाज के अपेक्षाकृत कमज़ोर वर्गों के कल्याण के लिए हमेशा समर्पित रही संस्था संस्कृति मानव सेवा संस्थान की संस्थापक डॉ. ऋतु सिंह ने यह जानकारी देते हुए बताया कि हमारी संस्था का उद्देश्य हमेशा से यही रहा है कि कोई भी दिव्यांगजन खासतौर पर दृष्टिहीनों को अपने जीवन यापन में अगर कोई कठिनाई है, जिसके कारण उन्हें बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, तो उनके जीवन को सरल और सुखी बनाने के लिए कोई समुचित रास्ता बनायें। उन्होंने कहा कि शिक्षा के अभाव में गरीबी के कारण कुछ दिव्यांग जनों के स्वभाव में भीख मांगने जैसी कुप्रवृत्ति उनकी आदत बनने लगती है, जिसे बदलना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि ऐसे लोग फिर किसी भी रूप में मेहनत करने की कोशिश नहीं करते हैं। संस्था का उद्देश्य हमेशा से यही रहा है कि इन लोगों की जीवन शैली तथा उनके व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनायें और उनको स्वावलम्बन एवं स्वाभिमान के साथ जीना सिखायें। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए संस्थान द्वारा इनको रोजगार के लिए प्रशिक्षण खास तौर पर हस्तकला के क्षेत्र में दिया जाता है, जिससे ये दिव्यांगजन अच्छे कलाकार बन सकें और इनका सभी जगह सम्मान हो सके। डॉ. सिंह ने बताया कि संस्थान के प्रशिक्षण केन्द्र में अब तक गुजरात के तीन हज़ार से अधिक दृष्टिहीन भाइयों-बहनों को प्रशिक्षित किया गया है और यह सिलसिला निरंतर जारी है। इन दृष्टिहीनों के प्रशिक्षित हाथों द्वारा निर्मित कृत्रिम फूलों के गुलदस्तों के अद्भुत कला प्रदर्शन को व्यापक स्तर पर सराहा जाता है और इनके प्रशंसकों में विभिन्न प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों सहित कई दिग्गज हस्तियाॅं भी शामिल हैं। डॉ. सिंह ने बताया कि देश के विभिन्न हिस्सों में आयोजित होने वाले बड़े-बड़े समारोहों में अतिथियों और कलाकारों के स्वागत के लिए इन विशेष गुलदस्तों को बहुत पसंद किया जाता है और इनकी मांग लगातार बढ़ती जा रही है। उन्होंने बताया कि हाल ही में रीवा में शहीदों के परिवारों के लिए आयोजित भव्य सम्मान समारोह में भी इन विशेष गुलदस्तों को काफी सराहा गया। संस्थान के सभी दिव्यांग जनों का यह मानना रहा कि हमारे देश के जो नौजवान सैनिक देश के लिए अपनी जान देने को तैयार रहते हैं, उनके परिवारों के सम्मान समारोह में हमारी कलाकृतियों की सहभागिता हमारे लिए अत्यंत गर्व की बात है और हमारी कला भविष्य में भी देश के वीर सपूतों के लिए हमेशा समर्पित रहेगी।
         

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