मुंबई। हिन्दी प्रचार एवं शोध संस्था मुंबई द्वारा न्यु सी ब्यु,न्यु रविराज काम्प्लेक्स जेसल पार्क चौपाटी भाईंदर पूर्व में 244 वीं मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन डॉ.उमेश चन्द्र शुक्ल के संयोजन में किया गया।
इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार संस्था के अध्यक्ष डॉ.सुधाकर मिश्र की अध्यक्षता में आयोजित काव्य गोष्ठी में मिश्र जी ने गीत और गीति पर विशेष विचार व्यक्त किया। अपने गीतों में 'पाती आई गाँव से' आदि गीतों का उद्धरण देते हुए विचार व्यक्त किया। मुख्य अतिथि श्रेयस्कर पत्रिका के संपादक डॉ.कृपाशंकर मिश्र ने 'अमूल्य काल जिंदगी के व्यर्थ ही गँवाओगे एवं गुदगुदाने लगी है गदोरी, रंग मेहंदी के चढ़ने लगें हैं'। मुक्तक के साथ दो गीत पढ़ें।कार्यक्रम के संयोजक संस्था के महासचिव डॉ.उमेश चन्द्र शुक्ल ने ग़ज़ल कहा "बंदिशें तोड़ आवाज़ों का सैलाब लाए हैं, जमाने की जरूरत है कि अब हम बोलते हैं।" एवं "यादों के आईने से वो गुलाबी रंग नहीं गया, फागुन कई आएँ वो फागुनी रंग नहीं गया" और "उमेश चुप रहकर भी बहुत कुछ कह गया, खामोशी इबादत है कि हम बोलते कम है।" इस अवसर पर निर्झरणी के अध्यक्ष व्यंग्यकार भोलानाथ भारतांचली ने " सजा न सका खुद को सजावट के जमाने में, यकीन दिला न सका, मिलावट के जमाने में।" मार्कंडेय त्रिपाठी ने " खिल जाए चेहरे जब सबके तब समझों आया बसंत", " गलतियाँ ही जीवन का सत्पथ दिखाती हैं।" विजय नाथ मिश्र ने द्वादश ज्योतिर्लिंगों को याद करते हुए " सत्य जन्म के त्रिविध ताप संताप पाप पर विजय करे।" डॉ.रोशनी किरण ने "हृदय कमल खिल उठा और इठलाकर झूमीं पुरवाई।", " साथ मिला जबसे उसका " गीत पढ़ें। गीतकार अजीत सिंह ने "सुबह से यारों चलते चलते शाम हो गई "गीत गाए तो अमरनाथ द्विवेदी अमर ने फागुनी गीत "फागुन दिन आईल रे बेईमनवां" लोकभाषा में गीत पढ़ें। माता कृपाल उपाध्याय " कौन जमाना आवत् बा्, दूसरे के गले लगावत बा्" , राजेश दुबे अल्हड़ असरदार ने गीत पढ़ें " दिल की नगरी में एक तुम वायरल हुईं, जब मैंने तेरा फेसबुक पढ़ लिया।" उपेन्द्र पाण्डेय ने भावपूर्ण ग़ज़ल पढ़ा " मेरी बात में यकीन रखना,हर बात में है बेगुनाही।" काव्य गोष्ठी का संचालन संस्था के महासचिव डॉ.उमेश चन्द्र शुक्ल ने किया। सभी अतिथियों के प्रति आभार विजय नाथ मिश्र ने व्यक्त किए। इस अवसर पर कथाकार प्रभाकर मिश्र, नरसिंह मिश्र, साहित्यनामा पत्रिका के संपादक दिनेश वर्मा, बद्रीनाथ सिंह आदि गणमान्य लोगों की गरिमामय विशेष उपस्थिति रही।
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