30 वर्षों में केवल 2.10 लाख लोगों को ही मिला पक्का घर–पराग अलवनी



मुंबई :पराग अलवनी ने विधानसभा में मुंबई । सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार, विधायक एड.पराग अलवनी ने मांग की है कि उच्च न्यायालय में चल रही स्वप्रेरित कार्यवाही में सरकार की राय पेश करने से पहले, मुंबई के विधायकों की एक बैठक बुलाई जाए और उनकी राय पेश करने से पहले उन्हें विश्वास में लिया जाए। वह विधानसभा में आवास विभाग की बजटीय मांगों पर बोल रहे थे। इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि हालांकि सपना मुंबई में 40 लाख झुग्गीवासियों को पक्के घर देने का था, लेकिन तीस वर्षों में केवल 2.10 लाख लोगों को ही घर मिले हैं। स्लम पुनर्वास प्राधिकरण की प्रक्रियाओं के कारण कार्य बहुत धीमी गति से चल रहा है। और बताया गया कि इस प्रक्रिया के कारण, 2257 प्रस्तावों में से 1612 मामले वर्तमान में मुंबई उच्च न्यायालय में लंबित हैं। इन लगातार मामलों के कारण, सर्वोच्च न्यायालय ने इसे गंभीरता से लिया था और बॉम्बे उच्च न्यायालय को कानून की कार्यप्रणाली की समीक्षा के लिए स्वतः कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया था। तदनुसार, उन्होंने मांग की कि सरकार को चल रहे मामले पर अपनी राय व्यक्त करनी चाहिए और न केवल अधिकारियों को अपनी राय व्यक्त करनी चाहिए, बल्कि पहले मुंबई के विधायकों की राय भी लेनी चाहिए।
यह कहा गया कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उठाए गए कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे जैसे कि झुग्गी-झोपड़ी घोषित करना, झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों की सूची तैयार करना, डेवलपर का चयन करते समय बहुमत में कौन है, आदि सभी अवैध हैं और इन्हें प्लॉट संख्या 187, टाउन प्लान संख्या V, अंतिम प्लॉट संख्या 187, विले पार्ले पर झुग्गी पुनर्वास योजना में देखा जा सकता है। उन्होंने मांग की कि नगर नियोजन विभाग की आपत्ति के बिना दी गई अवैध स्वीकृति तथा परिशिष्ट-2 के अंतिम रूप न दिए जाने पर भी दी गई अवैध आशय-पत्र को रद्द किया जाए।

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