मुंबई। चित्रनगरी संवाद मंच का होली स्नेह मिलन उम्मीद से भी ज़्यादा धमाकेदार रहा। ढोलक की थाप पर महिलाओं ने झूम झूम कर ऐसा नृत्य किया कि देखने वाले मंत्रमुग्ध हो गए। रविवार 9 मार्च 2025 को मृणालताई हाल, केशव गोरे स्मारक ट्रस्ट, गोरेगांव में आयोजित होली स्नेह मिलन में महामंडलेश्वर स्वामी स्नेहानंद जी महाराज ने संगीत का दिलकश माहौल रच दिया। खेलत रंग सुजान, चुनरी रंगा दे बालम, खेलैं मसाने में होली दिगंबर... आदि रंग बिरंगे होली गीतों से होते हुए जब उन्होंने गाया- "मन लागो मेरो यार फकीरी में" तो श्रोता समुदाय झूम उठा और महिलाएं नृत्य करने लगीं।
प्रख्यात लोक गायिका डॉ शैलेश श्रीवास्तव ने होली की शुभकामनाएं देते हुए 'बनारस' फ़िल्म में गाए अपने गीत से शुरुआत की- "बड़ा दर्द होई हमरी कलइया मा, भांग की पिसइया में ना"। "होरी आज जरे चाहे काल जरे, मेरा प्रियतम ना ही पास मेरे", "रात श्याम सपने में आए, दहिया पी गए सा रा रा " आदि लोकगीतों के माध्यम से डॉ शैलेश श्रीवास्तव ने सबको मस्ती में डुबो दिया।
सरकारी अस्पताल में भर्ती कवि का हाल पूछने वालों पर घनश्याम अग्रवाल ने हास्य कविता सुनाकर कई बार ठहाके लगवाए। व्यंग्यकार सुभाष काबरा ने अपने लेख "पर्दे के पीछे क्या है?" के माध्यम से, रचनापाठ करने वालों की आदतों, अदाओं तथा बड़बोलेपन की, होलियाना अंदाज़ में ख़ूब ख़बर ली और भरपूर दाद हासिल की।
इस स्नेह मिलन का एक यादगार पक्ष रहा ब्रज के रसिया का गायन। महानगर के श्रोताओं को ब्रज के रसिया का रंग बहुत मोहक लगा। डॉ बनमाली चतुर्वेदी, नवीन चतुर्वेदी और सौरभ बंसल ने मस्ती भरे अंदाज़ में ऐसे असरदार तरीक़े से रसिया पेश किया कि उनके साथ सारा हाल गाने लगा-
आज बिरज में होरी रे रसिया।
होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥
कौन गावं के कुंवर कन्हाई
कौन गावं राधा गोरी रे रसिया।
नन्द गावं के कुंवर कन्हाई,
बरसाने की राधा गोरी रे रसिया।
लोकप्रिय अभिनेत्री पुष्पा वर्मा ने ग़ज़ल सुनाई। ब्रजेश सिंह ने चैती गीत से रंग जमाया- "सेजिया से सैंया रूठ गइले हो रामा"। ओमप्रकाश तिवारी ने लोकगीत सुनाया- "तुम हो प्यारे लालना"। माया मेहता ने होली गीत पेश किया- "होली आई होली आई, सब सखियन की टोली आई"। "पड़ोसन ने कुतरो पालो" उषा साहू ने मालवा का यह हास्य गीत सुनाकर सबको हंसाया। रोशनी किरण के जोगीरा का साथ सभी ने निभाया-
होली के त्यौहार में, सभी रंगे हैं आज।
भंग-ठंडई सोमरस, करते ख़ुद पर नाज़।
कोई ना अब बेचारा, जोगीरा सा रा रा।। दमयंती शर्मा ने इस ख़ूबसूरत सिलसिले को आगे बढ़ाया- "रंगों के गुब्बारे मारे छिड़े प्रेम के राग।" रीमा राय सिंह ने भोजपुरी गीत गाया- होली खेलब अबकी बार। कार्यक्रम का संयोजन डॉ मधुबाला सिंह ने और संचालन देवमणि पांडेय ने किया। सुप्रसिद्ध शायर सिद्धार्थ शांडिल्य और शायर नवीन जोशी नवा ने अपनी मौजूदगी से आयोजन की गरिमा बढ़ाई। कुल मिलाकर यह स्नेह मिलन का ऐसा शानदार और मज़ेदार उत्सव था जिसमें रंग थे, मस्ती थी, गीत-संगीत था, भावनाओं का ज्वार और आत्मीयता थी। हंसी ठिठोली और ठहाकों से भरपूर यह स्नेह मिलन सबके दिलों पर अपनी छाप छोड़ गया।
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