पहलगाम की यातना, मृतकों का क्या कसूर..?



– अलका पांडे, अग्नि शिखा मंच

पहलगाम देवनार लम्बे दरख़तो से आच्छादित हरियाली ही हरियाली ,बर्फीली वादिया, ठंडी हवाएं,झीलों की लहरों का मधुर संगीत वातावरण को रोमांचक और सुरम्य बनाती है ।
कश्मीर हर व्यक्ति के आकर्षण का केंद्र रहा है ।पर इस स्वर्ग पर हल ही में हुई निर्मम घटना ने शर्मशार कर दिया है । कश्मीर पर्यटन स्थल होने के साथ साथ भारत का गौरव है ।
उसका ह्रदय छलनी कर दिया 
आतंकियों ने सिर्फ कश्मीर को ही नहीं रक्तरंजित किया समूचे मानव जात पर करता थप्पड़ जड़ा है ।
यह लोगों की सुरक्षा पर एक गहरा प्रश्न चिन्ह है । सरकार की सुरक्षा व्यवस्था पर अविश्वास जगाता है ।
कश्मीर बायशरण घाटी घूमने आए निर्दोषों की निर्मम हत्या ने इंसानियत,दया ,करुणा विश्वास की धज्जियां उड़ा कर रख दी गहरे जख्म दिए मानवता की धज्जियां उड़ा दी ..
खुशियां बटोरने आए नागरिकों पर क्रूर हमला कर अपनी घिनौनी मानसिकता का परिचाय करा निर्दयता की मिसाल बन गया है पाक।
शांत ,सुकून ,मनोरम पहलगाम सबकी आंखों में बसा ख्वाब था वहीं आज निर्दयता कुरता की कहानी कह रहा है ।
न तो उम्र का लिहाज किया न मांग के सुदूर की न मासूम बच्चों की मुस्कराहट की न मां की ममता का लोगों की सिसकियां, कातर निगाहे अपनो को ढूंढती मृतक के घर वाले की व्याकुलता इस आतंकवादी हमले की दर्दनाक कहानी है । इस घटना से समूचे देश में आक्रोश के लहर दौड़ गई है अपने परिजनों को खोने वालों का तो बुरा हाल है ही किंतु हर संवेदनशील हृदय के हृदय को चोट पहुंची है, हर व्यक्ति का मन दुख और क्षोभ से भर गया है प्रश्न यह खड़ा होता है कि प्रशासन क्या कर रहा था सुरक्षा व्यवस्थाओं का क्या हुआ ..?के क्या यह एक असफल शासन की कहानी है ..
मेरा मानना है कि अब हर समय हर व्यक्ति को चौकना रहना होगा । व्यक्ति को स्वयं अपने लिए खड़ा होना होगा आतंकवाद के खिलाफ आखिर कब तक हम इस तरह की घटनाओं पर दो शब्द बोलकर खामोश हो जाएंगे या श्रद्धांजलि देकर अपने कर्तव्यों की इति श्री कर लेंगे हमारा भारत वर्ष शांति और सौहार्द्र का प्रतीक है किंतु समय आने पर दुश्मनों पर टूट भी पढ़ते हैं एक तरफ प्यार , शांति और परोपकार की भावना के लोग हैं तो वहीं दूसरी तरफ धर्म के नाम पर कट्टरपंथी फैलाने वाले मानव से मानव को मरवाने वाले आपस में नफरत पैदा करने में आमादा है। पहलगाम जैसे पवित्र स्थल पर जहां पर हर साल हजारों पर्यटक आते हैं घूमने श्रद्धालु आते हैं अमर यात्रा की यात्रा करते हैं अब हर जगह आतंकवादी का साम्राज्य है कैसे लोग हिम्मत करेंगे वहां जाने का इस संकट की घड़ी में सबसे पहले जरूरी है कि हम एक हो एक हो कर रहे हैं किसी पर भी टीका टिप्पणी न करें अपने आंख और कान खुले रखें किसी के बहकावे में ना आए ।
हमारे खून में उबाल आना चाहिए हर एक की आवाज में इतनी गर्जना हो कि हर आतंकी का हाथ कांप उठे ..दिल दहल जाए ..वह समझ जाए अब मेरी खैर नहीं ..!

हमे जात पात में नहीं बटना है
 है ।मानव के कल्याण और देश का गौरव बढ़ाना है । जनता को जागरूक होना होगा ।सरकार को अब सुरक्षा सैन्य बल को बढ़ाना ओर सशक्त करना होगा ।हर घर के यूवाओ को वक्त पड़े तो अपनी सुरक्षा कर सके उन्हें प्रशिक्षण देना होगा घर घर सैनिक तैयार करने होगे ताकि इंसानियत की रक्षा हो सके । हर गली हर मोहल्ले में लोग स्वयं अपनी रक्षा कर सके ,प्रशासन के मोहताज न रहे ।

हर आतंकी हर आतंक के विरुद्ध एक ही स्वर में जय जय महाकाल बोलकर टूट पड़े ।
हमे कितना और दर्द सहना होगा..?
 कितने अपनो को खोना होगा..? अब बस अब ओर नहीं हमे ललकारना होगा, हर महिला पुरुष को शमशीर उठानी होगी अब हम चुप नहीं रहेंगे ,उस पर काल बन कर टूट पड़ने का समय आ गया है । हर मानव दर्शक नहीं रक्षक की भूमिका निभाए कानून और प्रशाशन की मदद नहीं मिलेगी तो स्वयं अपनी ओर अपनो की रक्षा को तैयार रहे ।
हम किसी से नहीं डरेंगे डट कर मुकाबला करेंगे ।
घर घर मातम नहीं अब ललकार सुनाई देगी अब किसी को श्रद्धांजलि नहीं बदला लिया जाएगा ।
जो जैसा करेगा उसको वैसा हो दंड दिया जाएगा ,महाकाल का डंका चारों दिशाओं में बजेगा , जय जय महाकाल ।
महाकाल का तीसरा नेत्र खुल गया है ।
आतंकियों को भस्म करने के लिए ।
तड़ाव कर शत्रुओं को ललकारा है प्रतिशोध के लिए ।।
दहधकती आंखों से उठा लिया है त्रिशूल आघात के लिए ।
विष का वामन किया है पाक का वजूद मिटाने के लिए ।।

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