सोबोर्नो इसाक बारी : दुनिया का सबसे कम उम्र का प्रोफेसर - हेमलता त्रिपाठी



"होनहार बिरवान के होत चिकने पात" एक लोकोक्ति है जिसका मूल जनकवि वृन्द का दोहा है- कुल सपूत जान्यो परै, लखि शुभ लच्छन गात, होनहार बिरवान के, होत चीकने पात यानी कि अच्छे पेड़ के पत्ते प्रारम्भ में बड़े ही चिकने होते हैं। जिस पेड़ के पत्ते शुरू में चिकने होते हैं वही पेड़ आगे चलकर अच्छी तरह से पुष्पित-पल्लवित होता है। उसी प्रकार जो बालक बचपन में तेज होता है वह एक दिन अवश्य महान् व्यक्ति बनता है और अपनी प्रतिभा की सुगंध पूरी दुनिया में फैलाता है। 

कहते भी हैं कि पूत के पाँव पालने में ही दिखाई दे जाते हैं। 13 साल का सोबोर्नो इसहाक बारी ऐसा ही है। भारतीय उप महाद्वीप के बांग्लादेश का मूल निवासी बारी 8 साल की उम्र में ही दुनिया का सबसे युवा प्रोफेसर बन गया और उसे "हमारे समय के आइंस्टीन" का दर्जा प्राप्त हो गया। वह विज्ञान और गणित की अपनी अद्भुत समझ से न केवल हमें प्रेरित करता है बल्कि भविष्य के लिए सकारात्मक संभावनाएं भी जगाता है। सोबोर्नो का कहना है कि मैं दुनिया भर के लोगों को गणित और विज्ञान समझने में मदद करना चाहता हूँ और मेरा लक्ष्य गणित और भौतिकी का प्रोफेसर बनकर उच्च शिक्षा और शैक्षणिक संसाधनों तक सीमित पहुंच रखने वाले छात्रों को पढ़ाना है।

शिक्षा ही जिंदगी की असली उड़ान है, यही देती इंसान को ऊंचा आसमान है। इंसान की जिंदगी में सबसे बड़ा महत्व शिक्षा का होता है। शिक्षा वह शेरनी का दूध है जो पियेगा वही दहाड़ेगा। शिक्षा हमें वह पंख वह हौंसला देती है, जिसके जरिए हम जितना जी चाहे उतने ऊंचाई तक उड़ सकते हैं। शिक्षा ही एकमात्र ऐसा जरिया है जो हमें अकल्पनीय कामयाबी की ओर ले जाती है।

हम जितनी कड़ी मेहनत करेंगे, जीत उतनी ही शानदार होगी। सोबोर्नो ने शिक्षा की छोटी सी चिंगारी को ज्वालामुखी में तब्दील करने में कामयाबी पाई और एक के बाद एक सफलताएं उसका कदम चूमती गई।

सोबोर्नो का जन्म 9 अप्रैल, 2012 को न्यूयॉर्क में हुआ था। उसके पिता रशीदुल बारी गणितज्ञ हैं और माँ शाहिदा गृहणी। उसके बड़े भाई का नाम अपोर्बो है। सोबोर्नो ने सिर्फ 6 महीने की उम्र में ही पूरे वाक्य बोलना शुरू कर दिया था। 2 साल की उम्र में उसे आवर्त सारणी के तत्व पूरी तरह से याद हो गए थे तब उनके माता-पिता को पता चला कि सोबोर्नो भौतिकी, गणित और रसायन विज्ञान की समस्याओं को बहुत आसानी से हल कर सकता है, फिर उन्होंने उसके वीडियो रिकॉर्ड कर उन्हें सोशल मीडिया पर शेयर करना शुरू कर दिया, जिसने न्यूयॉर्क के कुछ स्थानीय टीवी चैनलों और कॉलेजों का ध्यान आकर्षित किया। उसके बाद नन्हें सोबोर्नो को मेडगर एवर्स कॉलेज के उपाध्यक्ष जेराल्ड पॉसमैन ने एक साक्षात्कार के लिए बुलाया। अमेरिका की राष्ट्रीय प्रसारण सेवा- वॉयस ऑफ अमेरिका ने भी सोबोर्नो को एक साक्षात्कार के लिए आमंत्रित किया और सोबोर्नो साक्षात्कार लिए जाने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति बन गए।

जिस उम्र में बच्चे अमूमन खिलौनों से खेलते हैं, या वे ज्यादा से ज्यादा नर्सरी, प्री या किंडर जाना शुरू करते हैं, उस यानी 4 साल की उम्र में अप्रैल 2016 में सोबोर्नो को गणित और विज्ञान में असाधारण प्रतिभा के लिए सिटी कॉलेज, न्यूयार्क की अध्यक्ष डॉ. लीसा कोइको ने "हमारे समय का आइंस्टीन" उपनाम प्रदान किया और सोबोर्नो को अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने सम्मानित किया।

6 साल की छोटी सी उम्र में सोबोर्नो ने समझ लिया कि जरूरी नहीं रोशनी चिरागों से ही हो, शिक्षा से भी घर रोशन होते हैं। जिंदगी में यदि कामयाबी की ऊंचाइयों तक पहुंचाना है, तो एक लक्ष्य बनाओ, और उसे पाने के लिए अपना जी जान लगा दो, सफलता अवश्य मिलेगी। कोई भी कार्य असंभव नहीं होता, जैसी आपकी सोच होगी, जैसे आपके कर्म होंगे, वैसा ही आप बनेंगे। तब सोबोर्नो को एक बात याद आई- तूफानों से आंख मिलाओ, सैलाबो पे वार करो, मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर कर दरिया पार करो। और सोबोर्नो अपनी मंजिल की ओर बढ़ चले।

6 साल की उम्र में दुनिया की प्रतिष्ठित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने सोबोर्नो को उनकी समस्या समाधान क्षमताओं के लिए मान्यता मिल गई तथा उन्हें न्यूयॉर्क शहर के प्रतिभाशाली और प्रतिभाशाली कार्यक्रम में शामिल होने का मौका मिला। 7 साल की उम्र में सोबोर्नो "प्रोफेसर सोबोर्नो इसाक बारी" बन गए। दरअसल, 4 जनवरी 2020 को सोबोर्नो मुंबई विश्वविद्यालय से संबद्ध रुइया कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. अनुश्री लोकुर के आमंत्रण पर भौतिकी के विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में पधारे और अध्यापन किया। 

कहते हैं कि शिक्षा को सही समय पर समझ कर संकल्प एवं आत्मविश्वास के साथ जुट जाना चाहिए। रास्ते अपने आप बनते चले जाते हैं। अपनी असाधारण प्रतिभा वे चौथी कक्षा से सीधे आठवीं तथा नौंवीं कक्षा से सीधे 12 वीं कक्षा में पहुंच गए थे। 

11 साल की उम्र में सोबोर्नो ने अमेरिका में अंडर ग्रेजुएट कॉलेज एडमिशन के लिए मानकीकृत परीक्षा- स्कॉलस्टिक एसेसमेंट टेस्ट- एस ए टी, जो कि यूएसए कॉलेज बोर्ड आयोजित करता है, में 1500 अंक हासिल कर विश्व रिकॉर्ड स्थापित कर दिया था।

मात्र 12 वर्ष की आयु में, सुबोर्नो ने लॉन्ग आइलैंड के मालवर्न हाई स्कूल से स्नातक करने वाले दक्षिण एशियाई मूल के सबसे कम उम्र के अमेरिकी छात्र के रूप में इतिहास रच दिया है। 100 में से 98 जीपीए के साथ उनकी शैक्षणिक क्षमता वास्तव में असाधारण है। अब वह पूर्ण छात्रवृत्ति पर न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय में गणित और भौतिकी में स्नातक की डिग्री हासिल करेंगे।

सोबोर्नो को 12 साल की उम्र में यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, मेघालय में बतौर प्रोफेसर नियुक्ति मिली है, उन्होंने मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी- एमआईटी में कंप्यूटर साइंस व भौतिकी पढ़ाई है तथा नासा के स्पेस स्टेशन रोबोट्स के लिए प्रोग्राम भी बनाए हैं।

अन्य प्रतिभाशाली बच्चों की तरह सोबोर्नो अपने घर परिवार के प्रति काफी संवेदनशील हैं। 12 वीं कक्षा के दौरान अपने माता-पिता के प्रति आभार व्यक्त करते हुए सोबोर्नो ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा है, "वैसे, मुझे गणित और भौतिकी में बी.एस. करने के लिए पूर्ण छात्रवृत्ति के साथ न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय में पहले ही प्रवेश मिल चुका है। यह मेरी माँ, पिताजी और मेरे भाई की कड़ी मेहनत के बिना संभव नहीं होता। उदाहरण के लिए, मेरे पिताजी जो मेरे लिए एक टैक्सी ड्राइवर की पूरी क्षमता से कई गुना काम करते थे: हर रोज़ वे मुझे मालवर्न हाई स्कूल से स्टोनी ब्रुक यूनिवर्सिटी (40 मील) और फिर स्टोनी ब्रुक यूनिवर्सिटी से न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी (60 मील) और फिर न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी से घर (20 मील) तक ले जाते थे। जबकि कोई टैक्सी ड्राइवर भी हर दिन 120 मील ड्राइव नहीं करता। धन्यवाद पिताजी।"

लिनब्रुक के निवासी सुबोर्नो इसाक बारी ने अपनी एक फाउंडेशन "बारी साइंस लैब" बनाई है तथा दो किताबें भी लिखी हैं। उनकी पहली पुस्तक 'द लव' 2019 में आई, जिसमें उन्होंने धार्मिक मतभेदों और पूर्वाग्रहों से उपजे पूर्वाग्रह और घृणा को खत्म करने की कोशिश की है। यह सभी धर्मों के लिए स्वीकृति और प्रेम फैलाने का उनका प्रयास रहा है। यह पुस्तक उनके आतंकवाद विरोधी अभियान का भी विस्तार है। उनकी दूसरी पुस्तक 'मनीष' 2021 में प्रकाशित हुई थी।

कुछ लोग जन्मजात प्रतिभाशाली होते हैं, कुछ प्रतिभा को विकसित करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं, सोबोर्नो इसाक बारी पहली श्रेणी के हैं साथ ही वे उन सबसे दुर्लभ लोगों में से हैं जिन्हें 'ईश्वर-प्रदत्त' या 'प्राकृतिक प्रतिभा संपन्न' व्यक्ति के रूप में जाना जाता है, जो विशेष क्षमताओं, विस्मयकारी दिमागी शक्ति और किसी भी विषय के लिए एक ठोस आधार का आविष्कार करने के कौशल के साथ जन्म लेते हैं। ये लोग उन बहुत कम लोगों में से हैं जो किसी भी सदी में सिर्फ एक या दो ही पैदा होते हैं के और अपने अतुलनीय योगदान, अप्रतिम सृजन, बेजोड़ खोजों व आविष्कारों और अनुपम उपलब्धियों के लिए दुनियाभर में हमेशा याद किए जाते हैं। सोबोर्नो इसाक बारी को 14 वर्ष की उम्र ( शरद ऋतु 2026) में स्नातक तथा 18 साल की उम्र में डॉक्टरेट डिग्री मिलने की उम्मीद है। वैसे सोबोर्नो का लक्ष्य डबल पीएचडी ( गणित तथा भौतिकी में) करने का है।

सोबोर्नो इसाक बारी का जीवन इस बात का प्रमाण है होनहार व्यक्ति के लक्षण बचपन से ही दिखने लगते हैं। इसका मतलब है कि जो बच्चा या व्यक्ति आगे चलकर महान बनने वाला होता है, उसके शुरुआती लक्षण बचपन में ही दिखाई देने लगते हैं, जैसे कि एक पौधा जो बड़ा होकर पेड़ बनने वाला होता है, उसके पत्ते छोटे होने पर भी चिकने और चमकदार होते हैं, जो एक स्वस्थ और मजबूत पौधे की निशानी है।

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