Vasai-Virar : भ्रष्टाचार विरोधी पथक के रडार पर TDR घोटाला

  • अंधेरे का पाप उजाले में खुलता जरूर है

वसई : मंत्रालय के बड़े राजनेताओं एवं अधिकारियों से आर्थिक लाभ के सम्बंध बनाने वाले वसई विरार महानगरपालिका के नगर रचना विभाग में उप संचालक के पद पर लगभग  ढाई साल से वसई विरार नगर निगम के टाउन प्लानिंग डिपार्टमेंट में डिप्टी डायरेक्टर का पद संभाल रहे नगर अभियंता ने महज नौ दिनों में 28 टीडीआर मामलों को निपटाने में कामयाबी हासिल की है।  उस शक्तिशाली अधिकारी का नाम संजय जगताप है। टाउन प्लानिंग डिपार्टमेंट के तत्कालीन डिप्टी डायरेक्टर जगताप ने रुपये बांटने के लिए अपने पद और अधिकार का दुरुपयोग किया। सामाजिक कार्यकर्ता अनिकेत वाडीवकर ने शिकायत की थी कि जगताप ने मामले में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करके अपने वित्तीय हितों को हासिल किया था।      


एंटीकरप्शन ने उक्त घोटाले की चौकसी सुरु की जिससे जगताप का रंगों रुआब घटने लगा है। सूत्रों के अनुसार TDR, जो 44,87,000 वर्ग फुट के क्षेत्र को कवर करता है, दिसंबर 2019 में वितरित किया गया है और इसका बाजार मूल्य 577 करोड़ रुपये है। इतना बड़ा T.D.R. जगताप ने खलनायक की तरह महसूस करने का काम किया है। बेशक, जगताप इसमें अकेले नहीं थे।बी जी पवार भी टी डी आर घोटाले में शंका की परिधि में आ गए हैं।

नोटिस। जगताप को नगर निगम के नगर नियोजन विभाग से पालघर नगर परिषद में 5 अगस्त, 2019 के आदेश के बाद 30 अगस्त, 2018 को प्रतिनियुक्ति की विस्तार अवधि समाप्त होने के बाद स्थानांतरित किया गया था। उसी समय, विधानसभा चुनावों की घोषणा के कारण, जगताप ने आचार संहिता के कारण 13 सितंबर, 2019 को शहरी विकास विभाग से स्थानांतरण आदेश पर एक अस्थायी स्थगन आदेश प्राप्त किया था। आचार संहिता की समाप्ति के बाद, जगताप को बर्खास्त कर दिया गया और तुरंत पालघर नगर परिषद को सौंप दिया गया। यह पत्र 13 सितंबर 2019 को नगर निगम निदेशालय को प्रस्तुत किया जाना था। हालांकि, जब जगताप हाजिर नहीं हुए, तो उन्हें 11 दिसंबर, 2019 को मनपा प्रशासन निदेशालय ने नोटिस जारी किया।


पवार भी प्रस्तावों को मंजूरी देने के लिए संदेह के घेरे में आ गए हैं। बेशक, पवार, जो केवल कुछ महीनों के लिए मीरा भायंदर नगर निगम के आयुक्त रहे हैं, वे नगर नियोजन विभाग में मुद्दों का तेजी से निपटारा किया था। इसलिए, जगताप को स्वचालित रूप से उस काम में मदद की गई थी।पिछले कई वर्षों से जगताप उप निदेशक के पद पर कार्यरत थे, भले ही वे योग्य नहीं थे। इससे जगताप की असली ताकत का पता चलता है

लेकिन, उसकी अनदेखी करते हुए जगताप नगर निगम में बैठे थे। इसलिए, निदेशालय ने 4 मार्च 2020 को जगताप को निलंबित कर दिया था। हालांकि, निलंबन की कार्रवाई करने वाले उप निदेशक श्रीधर पाटनकर ने अगले दिन जारी निलंबन आदेश को स्थगित कर दिया था। इस पर जगताप की ताकत दिखाई पड़ी थी।

जगताप को 11 दिसंबर, 2019 के बाद टाउन प्लानिंग के उप निदेशक के रूप में बने रहने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है।और निदेशालय के किसी भी कार्य अवधि में  की गयी बढ़ोतरी के बावजूद भी वह 23 दिसंबर, 2019 से 31 दिसंबर, 2019 तक केवल नौ दिनों में हस्तांतरणीय विकास अधिकार (TDR) के हस्तांतरण के 28 मामलों को अवैध रूप से मंजूरी दे दी। TDR मामलों के निपटाने में दिखाई गई गति अत्यधिक है संदिग्ध 4 मार्च, 2020 को, जगताप ने अपनी स्थिति और शक्तियों का दुरुपयोग किया। एक गंभीर शिकायत है कि वाम दलों को भारी मात्रा में धन के दुरुपयोग में करोड़ों रुपये मिले हैं।


तत्कालीन कमिश्नर सतीश लोखंडे (IAS), जो जगताप को एक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति मानते थे लोखंडे ने भी अवैध उप निदेशक का समर्थन किया। क्योंकि रास्ते में, जगताप के दुराचार को कवर करने के लिए लोकदेव वानी ने कई फाइलों पर भी काम किया। इसके बाद बी। जी, पवार (आईएएस) ने भी जगताप जगताप को संरक्षण प्रदान किया ।लेकिन, कोई फर्क नहीं पड़ता कि मुर्गे  कितना भी सबेरा होने को रोकते रहे किंतु सुबह होती ही हैं ।अब जब एंटीकरप्शन ने मामले की  जांच शुरू की है, तो टाउन प्लानिंग विभाग में और भी कई घोटाले सामने आने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

Post a Comment

0 Comments