कानपुर और उन्नाव की 17 महिलाएं खाड़ी देशों में फंस गई हैं। उन्हें अच्छी नौकरी का झांसा देकर विदेश भेजा गया था, जहां वह यातनाओं से जूझ रही हैं। सभी को नौकर के रूप में बंधक बना लिया गया है। महिलाओं को भेजने वाले गिरोह का क्राइम ब्रांच ने भंडाफोड़ किया है। कानपुर में गिरफ्तार किए गए दो एजेंटों से पूछताछ करने पर कई खुलासे हुए हैं। पुलिस को यह जानकारी एक केस की विवेचना के दौरान मिली। अब भारतीय महिलाओं को आजाद कराने के लिए पुलिस ने विदेश मंत्रालय और ओमान में भारतीय दूतावास से संपर्क किया है। अफसरों के मुताबिक सभी को जल्द मुक्त कराया जाएगा।
9 अप्रैल को कर्नलगंज निवासी रामू ने एफआईआर दर्ज कराई थी। उसका आरोप था कि अतीकुर्रहमान और मुज्जमिल ने उसकी पत्नी को नौकरी का झांसा देकर ओमान भेज दिया। वहां पर काफिल नाम के शख्स के हवाले कर दिया। वह घरेलू नौकर के रूम में काम करने लगी। आरोप है कि ओमान में शारीरिक और मानसिक शोषण किया गया। कुछ दिन बाद उसने किसी तरह से दूसरे के मोबाइल से यहां पति से संपर्क किया और हकीकत बयां की। कर्नलगंज थाने में रिपोर्ट के बाद क्राइम ब्रांच सक्रिय हुई। डीसीपी क्राइम सलमान ताज पाटिल ने महिला से मोबाइल पर बात की। तहकीकात की तो होश उड़ गए। उसने बताया कि सऊदी अरब, कतर, मस्कट में कानपुर और उन्नाव की 17 महिलाएं कैद हैं। गुजरात की एक महिला भी ऐसे ही बंधक है। पीड़िता ने पुलिस को सबके नाम भी बताए हैं। पुलिस इन महिलाओं के घर वालों से संपर्क कर रही है।
विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावास को ई-मेल के जरिए सूचना देकर मुक्त कराने में मदद मांगी गई है। मानव तस्करी मानवता को शर्मसार करने वाला अपराध है। इसमें पीड़िता के अलावा उसके परिवार का भी शोषण होता है। पुलिस ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए निरंतर प्रयास करती रहेगी। - असीम अरुण, पुलिस कमिश्नर कानपुर
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