विरार लोकल ट्रेन की 153 वर्ष की यात्रा पूर्ण |Khabare Purvanchal

वसई(सवंददाता)।उपनगर विरार को महानगर मुंबई से जोड़ने वाली पश्चिम रेलवे की उपनगरीय ट्रेन(विरार लोकल)लाखो यात्रियों की जीवन वाहिनी सोमवार 12 अप्रैल 2021 को 153 वर्ष की हो गईं है।इस ऐतिहासिक तथ्य की जानकारी बहुत से रेल यात्रियों को शायद नही ही होगी।
बता दे कि 12 अप्रैल 1867 को विरार से प्रथम लोकल संचालित की गई थी।उस समय मात्र एक लोकल प्रातः काल 06:45 बजे विरार से चलायी जाती थी और सायंकाल 05:30 बजे विरार लौटती थी।महिलाओं के लिए लोकल में द्वितीय श्रेणी का एक अलग डिब्बा होता था ।उस समय ट्रेन में धूम्रपान की एक निश्चित जगह होती थी।उस समय तीन श्रेणी के डिब्बे होते थे।दूसरी श्रेणी के डिब्बे में यात्रा के लिए 7 पैसे प्रति मिल एवं तीसरी श्रेणी के लिए 3 पैसे प्रति मिल की दर पर किराया लिया जाता था।उस समय विरार से चर्चगेट तक पहुंचने में लोकल को कम समय लगता था क्योंकि तब रेल स्टेशन कम थे।उस समय रेल स्टेशनों मे नीयल(नालासोपारा),बसीन(वसई रोड),पाणजू(खाड़ी के मध्य),बेरेवडला(बोरीवली),पहाड़ी(गोरेगाँव),अंदारू(अंधेरी),सांताक्रुज, बंदोरा(बांद्रा),माहिम, दादूरे(दादर),एवं ग्रांटरोड ही विरार व चर्चगेट के मध्य थे।इसके रेलवे के इतिहास में 15 अप्रैल1853 का भी विशेष महत्व है क्योंकि इसी दिन ठाणे से बोरीबंदर देश की पहली ट्रेन दौडी थी।यद्यपि की यह लोकल नही थी।लोकल शब्द का उपयोग पहली बार 1फरवरी1865 को लगाई गई समय सारिणी में किया गया था।

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