नोएडा. कोरोना की दूसरी लहर में कम उम्र के काफी लोग दुनिया से विदा हो गए। अब घर में उनके बुजुर्ग माता-पिता ही रह गए हैं। शहर में उनकी देखभाल करने वाला भी कोई नहीं है। ऐसे में पुलिस कमिश्नर की ओर से शुरू की जा रही ‘सवेरा’ योजना उन्हें अपनापन देगी। इसके तहत उनका समय-समय पर पुलिसकर्मी उनके घर जाकर हालचाल जानेंगे। कोई दिक्कत होने पर मदद भी की जाएगी।
इसके लिए नोएडा-ग्रेटर नोएडा में बुजुर्गों का सर्वे शुरू हो गया है। कुछ साल पहले हुए सर्वे में जिले में 2478 बुजुर्ग ऐसे सामने आए थे जो अकेले रह रहे थे। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अब इसमें काफी इजाफा हो गया होगा। ऐसे में नए सिरे से सर्वे की शुरुआत करा दी गई है। आरडब्ल्यूए के साथ मिलकर सर्वे शुरू किया गया है। हर सेक्टर-सोसाइटी में जाकर इसका रिकॉर्ड तैयार किया जाएगा।
डीसीपी यातायात गणेश साहा ने बताया कि इस पहल को सवेरा योजना नाम दिया गया है। पुलिस कमिश्नरेट गौतबुद्धनगर की ओर से इस योजना की शुरुआत की गई है। इसमें डायल-112, कोतवाली पुलिस व यातायात पुलिस को शामिल किया गया है। बुजुर्गों का डाटा आने के बाद इनसे से संबंधित पुलिसकर्मी बुजुर्गों के घर जाकर उनका हालचाल पूछा करेंगे।
इसके अलावा बीच-बीच में हेल्पलाइन नंबर के जरिए भी हालचाल पूछा जाएगा। बुजुर्गों को हेल्पलाइन नंबर, यातायात पुलिस का नंबर व संबंधित कोतवाली इंचार्ज, चौकी इंचार्ज-बीट कांस्टेबल का मोबाइल नंबर भी दिया जाएगा ताकि कोई जरूरत होने पर तुरंत कॉल कर सकें।
इस माह रिकॉर्ड होगा तैयार
उन्होंने बताया कि नोएडा-ग्रेटर नोएडा में यूपी ही नहीं बल्कि देश के अलग-अलग कोने से लोग यहां आकर रह रहे हैं। कोरोना काल की दूसरी लहर से हर किसी के जीवन में दिक्कत आई है। ऐसे में बुजुर्गों को अपनापन देने के लिए इस योजना की शुरुआत की गई है। उम्मीद है कि इस महीने के अंत तक पूरा रिकॉर्ड तैयार हो जाएगा। इसके बाद ऐसे बुजुर्गों से मिलकर उनको अपनापन देने की कोशिश की जाएगी।
पड़ोसी से भी हैं अनजान
पुलिस अधिकारी भी मानते हैं कि नोएडा शहर में सेक्टर व सोसाइटी में रहने वाले लोगों का अपने आस-पड़ोस वालों से संपर्क काफी कम रहता है। एक ही फ्लोर के अलग-अलग फ्लैट में रहने वाले लोग एक-दूसरे को ठीक से पहचानते नहीं हैं।
गांवों में कम दिक्कतें
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि गांवों में भी अकेले बुजुर्ग हैं लेकिन इनकी संख्या न के बराबर है। इसके अलावा गांव का माहौल होने के कारण परिवारिक व आसपास में रहने वाले लोग उनको कभी अकेले होने का सच महसूस नहीं होने देते। शहरों के मुकाबले गांवों में पड़ोसी अकेले रह रहे बुजुर्गों की देखभाल अच्छे से करते हैं हालांकि गांवों में भी रह रहे ऐसे बुजुर्गों का रिकार्ड तैयार कर उनका भी हालचाल पूछा जाया करेगा।
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