मुंबई :- माता-पिता को राहत देने के लिए महाविकास अघाड़ी सरकार ने एक अहम फैसला लिया है। राज्य की शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ ने एक ट्वीट में कहा कि जो छात्र अपनी स्कूल फीस नहीं भर सके, उनके पास स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र नहीं था, लेकिन उन्हें दूसरे स्कूल में प्रवेश दिया जाएगा। स्कूल प्रमाण पत्र के अभाव में छात्रों को प्रवेश से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। प्रधानाध्यापक यह सुनिश्चित करें कि छात्र शिक्षा से वंचित न रहे। शिक्षा मंत्री गायकवाड़ ने यह भी कहा है कि यदि छात्र शिक्षा से वंचित है तो संबंधित प्रधानाध्यापक और स्कूल प्रमुख के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
कोरोना ने सभी को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाया है। लॉकडाउन ने कई नौकरियां खो दी हैं, व्यवसाय बाधित हो गया है। नतीजतन, परिवार चलाना और बच्चों को शिक्षित करना मुश्किल हो गया है। इसलिए, जो छात्र स्कूल फीस का भुगतान करने में असमर्थ हैं, उन्हें स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र न होने पर भी दूसरे स्कूल में प्रवेश दिया जाएगा। पता चला है कि कुछ स्कूल ऐसे छात्रों को स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र जारी करने से इनकार कर रहे हैं जो स्कूल फीस का भुगतान करने में असमर्थ हैं। प्रमाण पत्र नहीं होने के कारण छात्रों को अन्य सरकारी व सहायता प्राप्त स्कूलों में प्रवेश से वंचित किया जा रहा है। यह कार्रवाई शिक्षा के अधिकार कानून का उल्लंघन है। जिन छात्रों के स्कूल में प्रवेश में देरी हुई है या अस्वीकृत किया गया है, उन्हें अस्थायी प्रवेश देकर आगे की कार्रवाई की जानी चाहिए। गायकवाड़ ने बताया है कि नौवीं-दसवीं में प्रवेश के लिए अब यह नियम लागू कर दिया गया है।
0 Comments