आदि से अनंत का मिलन है योग,
बह्मा से विष्णु का मिलन है योग,
सागर से शिखर का मिलन है योग,
काशी से मथुरा का मिलन है योग,
भारतभूमि के कण-कण में है योग।
सूर्य से चन्द्र का मिलन है योग,
बह्माण्ड़ के अनंत में है योग,
सांसों की हर धड़कन में है योग,
हृदय के हर कम्पन में है योग,
नाड़ीचक्रों का मिलन है योग।
आत्मा से परमात्मा का मिलन है योग,
ईड़ा-पिंगला-सुषुम्ना का मिलन है योग,
भगवान शिव का दिया वरदान है योग,
रणभूमि में कृष्ण का दिया ज्ञान है योग,
प्रभु महावीर, बुद्ध का सिद्धांत है योग।
पाणिनि रचित अष्टाध्यायी सुत्रों पर,
महर्षि पतंजली का अनुसंधान है योग,
श्वसन एवं मुद्रा के ताने-बाने में गुंथा,
आदि शंकराचार्य, विवेकानंद जैसे,
विद्वानों का विश्वव्यापी ज्ञान है योग।
योगसुत्र की अमर रचनाओं से,
श्वसन एवं मुद्रा के ताने-बाने का,
हम भी दिल से अनुसंधान करें,
मिटाकर शरीर व अर्तमन का मैल,
बह्मलीन होने का अनुसंधान करें।
- मंजू लोढ़ा स्वरचित
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