पं लल्लन तिवारी के जन्मदिन ( 20 जुलाई ) पर विशेष लेख / बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा | Khabare Purvanchal

मित्रों, दुनिया में तीन तरह के इंसान होते हैं। बाधाओं के डर से काम ना शुरू करने वाला इंसान, बाधाओं के आने पर काम बंद कर देने वाला इंसान और बाधाओं के बार बार आने के बावजूद काम को अंजाम तक ले जाने वाला इंसान। इनमें से अंतिम श्रेणी वाले इंसान के जीवन की सार्थकता भी है और संजीदगी भी है। ऐसा व्यक्ति उपलब्धियों को तो प्राप्त करता ही है, साथ ही वह पूरे समाज के लिए रोल मॉडल का स्वरूप भी बन जाता है। उसकी प्रेरणा से हजारों लोगों की ना सिर्फ राहें आसान हो जाती हैं अपितु उनके भीतर संघर्षों से मुकाबला करने की क्षमता का भी विकास हो जाता है।
 20 जुलाई, 1949 को बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी से संलग्न चंदौली जनपद के महुअर कला गांव में पैदा हुए पंडित लल्लन तिवारी जीवन के तमाम संघर्षों का डटकर मुकाबला करते हुए, आज तमाम उपलब्धियों के साथ जिस ऊंचाइयों पर खड़े हैं, वह संपूर्ण मानव समाज के लिए प्रेरणादायक है। पंडित लल्लन तिवारी की यशोगाथा, समाज के प्रति समर्पण और सकारात्मक दृष्टिकोण किसी से छुपा नहीं है। पिता पंडित राम अधार तिवारी तथा माता रामराजी देवी द्वारा प्रदत्त संस्कारों और नैतिक मूल्यों को अपने जीवन में चरितार्थ करने वाले पंडित लल्लन तिवारी को लोग अनेकों स्वरूपों में देखते हैं। देश के महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थान राहुल एजुकेशन के चेयरमैन के रूप में शिक्षण सम्राट नजर आते हैं तो सामाजिक कार्यों के चलते उदार हृदय सम्राट परिलक्षित होते हैं। धार्मिक निर्माण तथा धार्मिक कार्यों में समर्पण भावना के साथ काम करने वाले पंडित लल्लन तिवारी , धर्म सम्राट के रूप में भी सम्मान पाते रहे हैं। कोरोना संक्रमण काल में उन्होंने जिस तरह अपने पूरे परिवार के साथ देवदूत की तरह सामने आकर जरूरतमंदों की मदद की ,महापालिका को 100 ऑक्सीजन सिलेंडर का योगदान दिया, स्वयं तथा परिवारजनों के संक्रमित होने के बावजूद लोगों की हौसला अफजाई की, वह काबिले तारीफ है। कोरोना संक्रमण काल में शिक्षण संस्थानों की हालत किसी से छिपी नहीं है। विषम परिस्थितियों में भी राहुल एजुकेशन से जुड़े सभी कर्मचारियों को समय से पूरी पगार देने के साथ उनकी विभिन्न जरूरतों पर हर संभव मदद करने की भावना ने उनके हृदय की विशालता और अपनेपन की भावना को महिमामंडित किया है। पंडित लल्लन तिवारी के पास अमूल्य अनुभव का भंडार है तो साथ में पारखी नजर भी है। उनकी सहजता, सरलता, सहृदयता अपने आप में बेजोड़ है। महाराष्ट्र के पूर्व गृह राज्यमंत्री तथा भाजपा नेता कृपाशंकर सिंह के अनुसार–पंडित लल्लन तिवारी उत्तर भारतीय समाज के प्रेरणास्रोत तथा प्रकाशस्तंभ हैं। व्यक्तिगत तौर पर मैं, उन्हें अपना पथ प्रदर्शक मानता हूं। समरस फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ किशोर सिंह के अनुसार तमाम उपलब्धियों के बावजूद तिवारी जी का व्यक्तित्व तथा अपनत्व की भावना संपूर्ण उत्तर भारतीय समाज के लिए एक संदेश है। उनका व्यक्तित्व और कृतित्व बेमिसाल है। भारतीय सद विचार मंच के अध्यक्ष डॉ राधेश्याम तिवारी का मानना है कि पंडित लल्लन तिवारी जैसे व्यक्ति को भगवान कुछ जिम्मेदारियों के साथ भेजता है। हम सब उनके जीवन दर्शन से बहुत प्रभावित हैं।
पंडित लल्लन तिवारी ने जिस तरह से संघर्षों पर विजय प्राप्त की तथा उपलब्धियों को गगनचुंबी ऊंचाइयों तक प्राप्त किया, उसे देखते हुए अलामा इकबाल का मशहूर और खूबसूरत शेर याद आता है।

हजारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है।
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा।।

पंडित लल्लन तिवारी के जन्मदिन की अग्रिम अनंत शुभकामनाएं। ईश्वर उन्हें स्वस्थ और समृद्धिशाली बनाए रखें।

हर खुशी, खुशी मांगे आपसे ,
जिंदगी जिंदादिली मांगे आपसे ।उजाला हो।मुकद्दर में आपके इतना,
 कि चांद भी रोशनी मांगे आपसे।।

–शिवपूजन पांडे
वरिष्ठ साहित्यकार

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