मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय चुनाव में 6000 की बजाए केवल 34 मतदाता

 

मुंबई। मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय की आम सभा का चुनाव हुआ। उस चुनाव को लेकर विवाद खत्म नहीं हुआ है। तब तक संग्रहालय के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद के लिए चुनाव की घोषणा हो गई है। आरटीआई कार्यकर्ता और आजीवन सदस्य अनिल गलगली ने सीधे चैरिटी कमिश्नर के पास शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय चुनाव में 6,000 की बजाय केवल 34 मतदाता हैं।अनिल गलगली ने चैरिटी कमिश्नर, मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय के अध्यक्ष शरद पवार, चुनाव अधिकारी और भोईवाड़ा पुलिस को भेजी लिखित शिकायत में यह स्पष्ट किया है कि मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय संस्था के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष पद के चुनाव के संबंध में रिटर्निंग ऑफिसर के हस्ताक्षर से दिनांक 05/10/2021 को परिपत्र जारी किया गया है। सर्कुलर में आपत्तिजनक बयान है कि आम सभा में चुने गए 34 सदस्यों को ही अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव में वोट देने का अधिकार है। इस कथन का कोई नियम नहीं है। संगठन के नियमों और विनियमों में यह नहीं कहा गया है कि आम बैठक के सदस्य अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव करेंगे। इसके विपरीत, संविधान के अनुच्छेद 10 (1) में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि संरक्षक, सहायक, उपकर्ता, आजीवन, मानद सदस्य की श्रेणी के सदस्यों को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को चुनकर देने और उम्मीदवार के रूप में चुनाव में खड़े होने का अधिकार है। इसलिए,आम सभा के केवल 34 सदस्यों को अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को चुनने का अधिकार है, यह सरासर गलत है। वास्तव में, यह चुनाव खुला होना चाहिए और संग्रहालय की सभी शाखाओं के सदस्यों को वोट देने का अधिकार होना चाहिए। गलगली ने कहा कि तब तक इस चुनाव को रद्द करना ही उचित होगा। मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय बचाव समिति द्वारा इस चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए धनंजय शिंदे,  उपाध्यक्ष पद के लिए डॉ संजय भिडे, प्रमोद खानोलकर, सुधीर सावंत, झुंझार पाटील, डॉ.रजनी जाधव, अनिल गलगली, आनंद प्रभू, संतोष कदम यह शरद पवार  गुट के खिलाफ खड़े हैं। दूसरी ओर मुंबई मराठी संग्रहालय के अध्यक्ष पद के लिए महाविकास आघाडी के सर्वेसर्वा शरद पवार ने उम्मीदवारी के लिए आवेदन दाखिल किया है। कुल 7 उपाध्यक्ष पद के लिए डॉ. भालचंद्र मुणगेकर, शशी प्रभू, रामदास फुटाने,रिटायर्ड जस्टीस अरविंद सावंत यह प्रमुख दावेदार हैं। डॉ भालचंद्र मुनगेकर को छोडा जाये तो, शरद पवार के निर्देशों के अनुसार 2017 से सभी की नियुक्ति विवादास्पद रही है और इस संबंध में अनिल गलगली द्वारा दर्ज की गई शिकायतें अभी भी चैरिटी आयुक्त कार्यालय में लंबित हैं। गौरतलब है कि इससे पहले शरद पवार में से किसी ने भी संग्रहालय चुनाव के लिए साधारण आवेदन तक नहीं किया था। इस पृष्ठभूमि में, संग्रहालय के पिछले पचास वर्षों में पहली बार धनंजय शिंदे ने इस चुनाव में चुनौती दी है। इस तथ्य के बावजूद कि संग्रहालय के सभी सदस्यों को संविधान के अनुसार चुनाव में भाग लेने का अधिकार है, चर्चा है कि संग्रहालय के पदाधिकारियों ने चुनाव अधिकारी को गलत जानकारी दी है और केवल वोट देने का अधिकार दिया है 34 लोगों को बहाल किया हैं।

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