हिंदू-मुस्लिम एकता की प्रतीक थी सावित्रीबाई–अनिल गलगली


मुंबई।  आज से करीब 180 वर्ष पूर्व महिलाओं को शिक्षा के लिए प्रेरित करनेवाली सावित्रीबाई फुले यह सिर्फ महिलाओं के उत्थान ही नहीं बल्कि हिंदू-मुस्लिम एकता की प्रतिक थी। यह बात आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कही। वे चांदिवली के प्रभात नगर स्थित गुरुकुल कोचिंग क्लासेस में क्रांति ज्योती सावित्रीबाई फुले की 191 वी जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे।आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कहा कि एक वक्त ऐसा था कि महिलाओं को शिक्षा के लिए लायक नहीं समझा जा रहा था ऐसे वक्त महात्मा ज्योतिबा फुले ने अपनी पत्नी सावित्रीबाई को शिक्षित किया ताकि वे इस अभियान को सफल बना सके। जब वह स्कूल की ओर चली गई तो सावित्रीबाई पर गाय का गोबर, मिट्टी और पत्थरों को फेंका गया। हालांकि इस तरह के अत्याचार अपने लक्ष्य से निर्धारित सावित्रीबाई को हतोत्साहित नहीं कर सके और सावित्रीबाई और फातिमा शेख बाद में सगुना बाई से जुड़ गए जो अंततः शिक्षा आंदोलन में अग्रणी बनी। सावित्रीबाई सही मायने में हिंदू मुस्लिम एकता की प्रतीक थी। उत्तर मध्य मुंबई एनसीपी के महासचिव एड कैलास आगवने ने सावित्रीबाई के कार्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज सावित्रीबाई के ही चलते ही हर वर्ग की लड़कियां शिक्षा क्षेत्र में टॉप पर हैं। वहीं चांदिवली तालुका अध्यक्ष बाबू बत्तेली ने बताया कि ऐसे महान लोगों का अनुकरण करने से युवा पीढ़ियों को लाभ होता हैं।इस मौके पर किशोर ढमाल, अब्दुल मुख्तार शेख, सुभाष गायकवाड, रियाज वजीर चांद मुल्ला, रत्नाकर शेट्टी, प्रशांत बारामती,  मिलिंद पुजारी, संदीप येजरे, अजीज खान, पंकज शर्मा, अख्तर खान, शहजाद रहमत अली उपस्थित थे।

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