लता मंगेशकर जी के साथ बिताए वह अमूल्य पल हमेशा यादों में महकते रहेंगे - श्रीमती मंजू मंगल प्रभात लोढा


मुंबई : महान व्यक्तित्व की धनी, मधुर भाषी, स्वर कोकिला , कोकिल कंठी, भारत रत्न, सदी की  महानतम  गायिका लता दीदी हमारे बीच नहीं रही, पर उनकी अमर आवाज हमेशा जीवित रहेगी। उनसे मिलने का सौभाग्य कई बार प्राप्त हुआ, उनके स्नेह ने हर बार पहले से  ज्यादा अभिभुत किया। उनके साथ बिताए अमूल्य  पल हमेशा महकते रहेंगे।

यूं तो जीवन संस्मरणों की एक पुस्तक होती हैं। लेकिन कुछ संस्मरण ऐसे होते हैं जो भुलाए नहीं भूलते और जीवन को एक नया अर्थ दे जाते हैं। लता दीदी के साथ गुजारा ऐसा ही एक संस्मरण है 27 जनवरी 2014 जनवरी का ।

सुप्रसिद्ध हिन्दी देशभक्ति गीत "ऐ मेरे वतन के लोगो, "जिसे कवि प्रदीप जी ने लिखा था और सी. रामचंद्र जी ने संगीत दिया था। ये गीत १९६२ के चीनी आक्रमण के समय मारे गए भारतीय सैनिकों को समर्पित था। यह गीत तब मशहूर हुआ जब लता मंगेशकर जी ने इसे नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस के अवसर पर रामलीला मैदान में तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू जी की उपस्थिति में गाया। चीन से हुए युद्ध के बाद 27 जनवरी 1963 में दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में लता मंगेशकर जी ने इसे  अपनी भावपूर्ण आवाज में गाया था। कहा जाता हैं कि इस गाने को सुनने के बाद नेहरु जी की आँखें भर आई थीं। 

ऐसा ही अद्भूत नजारा 50 वर्ष बाद मुम्बई में देखने को मिला। जब लोढ़ा फाउंडेशन द्वारा इस गीत की 50 वीं वर्षगांठ महोत्सव का भव्य आयोजन मुम्बई के रेस कॉर्स के विशाल प्रांगण में आयोजित किया गया। इस आयोजन में स्वर कोकिला  भारत रत्न सुश्री लता मंगेशकरजी  के साथ मंच पर वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी उपस्थित थे। नरेन्द्र मोदी जी उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तथा भारत के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री कहलाते थे। स्थानीय विधायक मंगल प्रभात लोढ़ा के मार्गदर्शन में आयोजित यह कार्यक्रम देश का भव्यतम आयोजन में से एक था, जिसके साक्षी थे मुम्बई के ड़ेढ़ लाख से अधिक विशाल जनमानस। क्या आम, क्या खास, सभी लोग मुम्बई के इस रेस कॉर्स के विशाल प्रांगण में मंत्रमुग्ध होकर स्वर कोकिला की आवाजों में, वही सुप्रसिद्ध हिन्दी देशभक्ति गीत “ऐ मेरे वतन के लोगो” सुन रहे थे। कोकिल कंठी लता मंगेशकर जी के साथ यह गाना डेढ़ लाख जनता भी गा रही थी।सभी के चेहरे पर वहीं भाव और देशभक्ति की भावना मन में उमड़ रही थी, जो आज से 50 वर्ष पूर्व दिल्ली नेशनल स्टेडियम में उपस्थित लोगों में थी। मंच पर बैठे वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का गला भर आया। वर्तमान प्रधानमंत्री  नरेन्द्र भाई मोदी भी भावुक हो उठे थे। मुम्बई के रेस कॉर्स का विशाल प्रांगण भारत माता की जय के नारों से गुंज उठा। लता जी ने उन दिनों का संस्मरण सुनाया कैसे इस गीत को सुनकर नेहरू के आंखों में आंसू आ गए थे।

आज भी जब मैं उन पलो को याद करती हूँ तो, मन रोमांच से भर उठता है। इस विशाल आयोजन का संचालन तथा स्वागत भाषण करने का, सुअवसर मुझे प्राप्त हुआ था। यह मेरे जीवन के अमूल्य यादगार पलों में से एक था, जो भाग्य से मिलता है। देशभक्ति से भरा यह अमर गीत स्वर कोकिला लता मंगेशकर की आवाज में सुन रही थी। जिन गीतों को हम कभी स्कूलों में गाया करते थे, रेडियो-लाउडस्पीकर में सुनकर झूमा करते थे। देश के महानतम व्यक्तित्व के आँखों में आज भी आंसू लाने की क्षमता रखता हैं, आज हम सब कुछ आंखों से देख और कानों से सुनकर महसूस कर रहे थे। गीत का एक-एक शब्द हृदय के अनंत गहराईयों में डुबकर, देशभक्ति की लावा को हिमालय की शिखरों तक पहुंचा रहा था। ऐसी अनुभूति की शायद ही कभी मैंने कल्पना की थी। एक तरफ स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी गीत गा रही थी, वही मंच पर नरेन्द्र मोदी,विधायक  मंगलप्रभात लोढ़ा, गीत के रचनाकार कवि प्रदीप की बेटी, परमवीर चक्र, महावीर चक्र, वीर चक्र, अशोक चक्र आदि विजेता तथा उनके परिवार के सदस्य, फिल्म अभिनेता सुनील शेट्टी, सनी देओल आदि जैसे महान हस्तियों के संग मैं भी संगीत लहरियों के संग भावों की तरंगों में बहती जा रही थी।नरेंद्र मोदी का ओजस्विता से  भरपूर संभाषण सुनकर देश प्रेम की एक अजीब लहर सबके दिलों में हिलोरे लेने लगी। उसी मंच से हमारे देश के वीर जवानों का सम्मान हुआ। उस दिन उन सभी से मिलकर मेरे दिल में सैनिकों और सैनिक परिवारों के लिए उच्चतम सम्मान हिलोरे लेने  लगा और उसी दिन मैंने तय किया कि मैं एक पुस्तक इन वीरों के बारे में लिखूंगी। और "परमवीर चक्र अ वार डायरी" लिखी इसने मेरे जीवन को एक नया मोड़
दिया।

वह पल अद्वितीय था। देशभक्ति से भरा अमर गीत “ऐ मेरे वतन के लोगो” को मंच से स्वर कोकिला लता मंगेशकर के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी, कवि प्रदीप की पुत्री, मुम्बई के रेस कॉर्स के विशाल प्रांगण में उपस्थित डेढ़ लाख से अधिक लोगों तथा हमारे देश के वीर जांबाज सैनिक और उनके परिवार वालों ने एक साथ गाया तथा उन पलों को संग-संग जिया। भला ऐसे अद्वितीय पलों को, ऐसे संस्मरण को कोई भुला सकता है!

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