पूर्वांचल की जनता के नाम एडवोकेट अशोक दुबे का खुला पत्र


मुंबई। अपना पूर्वांचल महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट अशोक दुबे ने वर्तमान परिस्थितियों के मद्देनजर पूर्वांचल के लोगों के नाम एक खुला पत्र जारी किया है। 
प्रिय मित्रों, पूर्वांचल के सभी गणमान्य देवतुल्य जनता, आप सभी को सादर नमस्कार।

आज एक ट्रेंड चला है, राजनीति से प्रेरित, आप उसकी गहरायी को समझे और विचार करे।

आज सोशल मीडिया के माध्यम से लोग एक दूसरे पर हमलावर हो चुके है, कोई भी अपनी बातें सोशल प्लेटफ़ॉर्म पर अपने ज्ञान के अनुसार रख सकता है।

क्या अपने कभी ये सोचा है की जो हम सोशल मीडिया पर पढ़ते है या देखते है उसकी सत्यता कितनी है?

अब यही से सुरु होती है आपके ज्ञान और जानकारी की परीक्षा, अपना विवेक लगाने की ज़रूरत,

हमें ऐसे नही होना चाहिए की हम अर्थ का अनर्थ लिखे या फैलायें।
अपनी भाषा अपने देश अपनी जाति अपने धर्म पर गर्व करना हर किसी प्राणी का मूलभूत अधिकार है और उसकी रक्षा करना परम कर्त्तव्य, और हम सब उसका आदर और सम्मान करते है।

१- आपने कभी सोचा है की अगर कोई उदाहरण आपको देना हो तो आप जो सर्वश्रेष्ठ या निम्न होगा उसी का ही उदाहरण क्यू देते हो?

अगर ये सत्य है तो समाज के ऐसे पिलर पर सिर्फ़ एक का तो अधिकार होगा नही वो सबके लिए आदर्श होगा और उसकी नज़ीर पेश की जाएगी, तो क्या ऐसे में किसी का अपमान होता है या हो सकता है।

जब ब्रह्मचारी की बात होगी तो ब्राह्मण की बात होगी,  और उसी का उदाहरण दिया जाएगा,  क्यूँकि हम ब्राहमनो ने एक ऐसी मिशाल क़ायम की है जिसका उदाहरण देने के लिए लोग मजबूर हो जाते है।

अब अगर वही ब्राह्मण ब्रह्मचारी मांस और मदिरा का सेवन करेगा तो पथ भ्रष्ट तो हो ही जाएगा, सत्य का अपमान से कुछ लेना देना नही होता है सत्य सत्य होता है।

हमें समाज में ऐसा आदर्श देना चाहिए जिससे लोगों की भ्रांति ख़त्म हो ना की खुद को कमजोर करके बैठ जाए, और समाज को निजी स्वार्थ के लिए बाँट कर लज्जित करे॥

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