टैंकरों का ज़हरीला पानी पीने को मजबूर वसईकर
वसई (संवाददाता) | वसई विरार शहर महानगर पालिका का सार्वजनिक चुनाव जब भी होता है तो उमीदवारों द्वारा वसई में विगत 30 वर्षों से होने वाली पानी की किल्लत को दूर किये जाने का माईक पर चिल्ला चिल्ला कर आश्वासन दिया जाता है। टैंकर मुक्त वसई के नारे लगाये जाते हैं किंतु चुनाव पूर्ण होने के बाद वसईकरों को मिलता है, मात्र 'ढाक के तीन पात' गर्मी के मौसम की शुरुवात होते ही पाणी बेंचने वाले टैंकरों की परेड शुर हो जाती है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार 'सूर्या प्रकल्प पानी योजना द्वारा पानी आपूर्ति किये जाने के उपरांत भी एक से डेढ़ हजार टैंकर पानी की बिक्री वसई तालुका में की जाती है। लोगों को गर्मी के मौसम में 2 से ढाई हजार रुपये टैंकर पानी के लिये चुकाना पड़ता है। मनपा द्वारा की जाने वाली पानी की आपूर्ति 'उट के मुंह में जीरा' ही साबित होती है। सूत्रों का यहां तक कहना है कि मनपा की आपूर्ति 'पॉश एरिया' के गृहसंकुलों में भरपूर की जाती है, जबकि सामान्य जनों की बस्तियों एवं झोपड़पट्टियों में कुछ सीमित बुँदे ही टपकाई जाती हैं। सामान्य नागरिकों को मनपा का यह दोगलापन काफी अखरता है।
'टैंकरों का पानी' कहाँ से, कैसे लाया जाता है यह किसी को मालूम नहीं होता है । टैंकरों के पानी में कहीं हानिकारक वैक्ट्रिया तो नहीं ? इसका जवाब मनपा के आरोग्य "विभाग को भी नहीं मालूम होता है, क्योंकि वविश मनपा के पास पानी की गुणवत्ता जांचने वाला कोई 'यंत्र' ही नहीं है। टैंकरों का पानी गंदा, हानिकारण व महामारियों को फैलाने वाला होगा, इसकी जवाब दारी न टैंकर लॉबी लेती है और ना ही वविश मनपा प्रशासन किंतु पानी की किल्लत के चलते वसईकर, टैंकरों का गंदा, संक्रामक तथा जहरीला पानी पीने को मजबूर हैं।
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