चुनाव अधिकारी ने उड़ाईं नियमों की धज्जियां
मुंबई: मुम्बई के एसएनडीटी महिला विद्यापीठ में नवंबर दिसंबर 2022 में विश्वविद्यालय की सिनेट के चुनाव कराए गए, जिसमें चुनाव अधिकारी ने जमकर नियमों की धज्जियां उड़ाई है। सिनेट में महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी एक्ट 2016 के कायदे से अलग अलग क्षेत्रों के प्रतिनिधि चुने जाते हैं। पिछले 2 महीनों से यह प्रक्रिया एसएनडीटी में चालू थी और 5 दिसंबर 2022 को इसके परिणाम घोषित कराए गए। इसमें चुने हुए सदस्य 5 साल यानी 2022 से 2027 तक विद्यापीठ की सीनेट के सदस्य रहेंगे और विद्यापीठ से जुड़े जरूरी निर्णय लेंगे।
लेकिन विश्वविद्यालय के विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि,सिनेट चुनाव में नियमों की भयंकर अनदेखी की गई और ऐसा लगता है कि, जानबूझकर मनमाने तरीके से चुनाव कराए गए। महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी एक्ट 2016 के कायदे से सिनेट में 10 ग्रैजुएट सदस्य चुने जाते हैं, जो विद्यापीठ के पुराने छात्र होते हैं, पर वो विद्यापीठ में किसी भी रूप में शिक्षण न कर रही हों। पर सीनेट चुनाव अधिकारी और एसएनडीटी महिला विद्यापीठ के रजिस्ट्रार प्रोफेसर विलास नांदवडेकर ने अपने मनमुताबिक से एक ऐसी महिला सदस्य को सिनेट में चुनवा कर भेजा है जो विद्यापीठ में सायकोलॉजी विभाग में शिक्षक है। मिस अरचिषमती अशोक सोनावने (चुनाव सदस्य संख्या 05) को एसएनडीटी महिला विद्यापीठ में 15 जुलाई सन 2022 को रु. 35000/- की तनख्वाह पर नौकरी पर रखा गया है , और वो सायकोलॉजी विभाग में पढ़ाती है । इस मामले में जबकि महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी एक्ट 2016 के चैप्टर नंबर 4 बिंदु नंबर 28 (t) के कायदे से विद्यापीठ के किसी टीचर को ग्रेजुएट के कोटे में सिनेट में नहीं चुना जा सकता। जबकि इसी तरह के दूसरे सदस्य डॉ स्मृती भोसले को चुनाव अधिकारी ने इसी कारण अपात्र घोषित कर दिया क्योंकि वह डिस्टेंस एजुकेशन में कार्य कर रही हैं। इसका अर्थ यह है कि विद्यापीठ में चुनाव अधिकारी और स्क्रूटिनी करने वाले सायकोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ निलेश ठाकरे की मनमर्जी और धांधली से सिनेट के चुनाव हुए हैं। अगर इसकी पूरी जांच की जाए तो और भी बहुत सी गड़बड़ियां निकलने की उम्मीद है। अब देखना ये है कि,विश्वविद्यालय में हुई इस धांधली पर विद्यापीठ प्रशासन, कुलगुरू, महाराष्ट्र सरकार और विद्यापीठ के कुलाधिपति महामहिम राज्यपाल खुद इसका संज्ञान लेंगे और इस धांधली को सुधारने कि कोशिश करेंगे या ऐसे ही दोषियों को बिना दंडित किए मनमानी करने देंगे।
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