मुंबई। विदर्भ, मराठवाड़ा, डी और डी प्लस ग्रेड क्षेत्रों में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार उस क्षेत्र के उद्योगों को बिजली सब्सिडी देती है जिस पर टेक्सटाइल विभाग की तरह की 40 लाख रुपये प्रति उद्योग और प्रति महीने लगाम लगाने की मांग की है। ताकि छोटे-मझोले-बड़े उद्योगों को भी सब्सिडी का लाभ मिल सके। इस संबंध में वेस्टर्न महाराष्ट्र स्टील मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन का कहना है कि जिस तरह से टेक्सटाइल पॉलिसी में बिजली सब्सिडी की लिमिट डाली गई है। उसी तर्ज पर यहां पर भी लागू होना चाहिए। अनलिमिटेड सब्सिडी लागू करने के लिए विदर्भ के दलाल उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के आसपास भटक रहे हैं। विदर्भ, मराठवाड़ा, डी और डी प्लस ग्रेड क्षेत्रों के उद्योगों को दी जा रही बिजली छूट में सुधार के लिए विदर्भ के नेता व राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में एक समिति बनाई गई है। यह समिति अगले पांच साल के लिए सब्सिडी देने का नियम-कानून तय बनाएगी। वेस्टर्न महाराष्ट्र स्टील मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने मांग की है कि एक उद्योग को ज्यादा से ज्यादा 40 लाख रुपये हर महीने तक ही सब्सिडी मिलनी चाहिए। इससे उस क्षेत्र के छोटे, मझोले और बड़े उद्योगों, लगभग सभी को फायदा मिल सकेगा। फिलहाल सरकार ने 20 करोड़ की सीमा डाली है जिससे बहुत कम लोगों को ही सब्सिडी का फायदा मिल रहा है।
विदर्भ, मराठवाड़ा, डी और डी प्लस ग्रेड क्षेत्रों में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार बिजली में छूट देती है। इस पॉलिसी पर हर पांच साल के बाद समीक्षा की जाती है। पांच साल के बाद फिर से एक समिति बनाई गई है जिसका अध्यक्ष ऊर्जा मंत्री देवेंद्र फडणवीस को बनाया गया है। समिति के अध्यक्ष फडणवीस से वेस्टर्न महाराष्ट्र स्टील मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने मांग की है कि एक उद्योग को ज्यादा से ज्यादा 40 लाख रुपये हर महीने तक ही सब्सिडी दी जाए। इससे उस क्षेत्र के छोटे, मझोले और बड़े उद्योगों, लगभग सभी को फायदा मिल सकेगा। फिलहाल सरकार ने 20 करोड़ की सीमा डाली है जिससे बहुत कम लोगों को ही सब्सिडी का फायदा मिल रहा है।
उद्योगों को बिजली में सब्सिडी देने का निर्णय 2016 में लिया गया। विदर्भ, मराठवाड़ा, डी और डी प्लस ग्रेड क्षेत्रों में हर साल 1200 करोड़ रुपये बिजली सब्सिडी देने का निर्णय लिया, लेकिन नियम-कानून बनाते समय कई सारे मु्द्दों पर ध्यान नहीं किया। इससे हुआ यह कि उस क्षेत्र के उद्योगों कुल 1200 करोड़ रुपये की सब्सिडी में से 65 से 70 प्रतिशत रकम महज 15 उद्योगपति को ही मिल रहा है। 8,000 करोड़ रुपये बिजली सब्सिडी घोटाला सामने आया था। घोटाला सामने आने के बाद उद्धव सरकार के वित्तमंत्री अजित पवार ने इस पर रोक लग दी। और इस सब्सिडी देने के लिए एक समिति का गठन । समिति ने सब्सिडी की रकम पर 20 करोड़ रुपये की लिमिट डाल दी। इससे सब्सिडी का फायदा लेने वालों की संख्या बढ़ गई। 20 करोड़ की लिमिट हटाकर 40 लाख करें
विदर्भ के कई सारे उद्योगपति 20 करोड़ की लिमिट हटाने के लिए तगड़ी लॉबिंग कर रहे हैं। कहते हैं कि ऊर्जा मंत्री फडणवीस के बेहद करीबी एक उद्योगपति उस क्षेत्र के बड़े उद्योग घरानों से पैसा जमा कर रहे हैं। आने वाले मानसून सत्र में इस मामले को विपक्ष उठाने की तैयारी कर रहा है। विदर्भ के ही सत्ताधारी विधायक का कहना है कि विदर्भ में उद्योग लगाने के नाम पर कुछ बाहरी उद्योगपति सक्रिय है जो सब्सिडी के रकम की लूट कर रहे हैं। उनको विदर्भ या फिर यहां के लोगों से कोई प्रेम नहीं है, बल्कि वे सिर्फ अपने फायदे के लिए यहां आ रहे हैं। विधायक का कहना है कि जिन लोगों ने सब्सिडी का फायदा लिया उसकी जांच करेंगे तो बहुत बड़ा भ्रष्टाचार सामने आएगा।
टेक्सटाइल पॉलिसी की सब्सिडी में लिमिट
हाल में ही सरकार ने नई टेक्सटाइल पॉलिसी घोषित की है। टेक्सटाइल उद्योग को भी राज्य सरकार बिजली सब्सिडी देती है। वहां पर भी चंद उद्योगपति से ही सब्सिडी का फायदा उठा रहे थे जिस पर टेक्सटाइल मिनिस्टर चंद्रकांत पाटील ने लिमिटेशन डाली। पाटील ने अधिकतम सब्सिडी 40 लाख रुपये की सीमा डाली है। इसी तरह का सब्सिडी लिमिट विदर्भ, मराठवाड़ा, डी और डी प्लस ग्रेड क्षेत्रों के उद्योगों पर भी लगाने की मांग की है। इसके पीछे तर्क दिया है कि सभी तरह के उद्योगों को फायदा मिलेगा।
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