द्रोणाचार्य' पर वर्चुअल सेमिनार का आयोजन संपन्न

 
    
मुंबई।अखिल ब्रह्मविज्ञान संस्थान, राजभाषा हिंदी प्रचार संस्थान एवं महापंडित राहुल सांकृत्यायन फाउंडेशन के संयुक्त तत्त्वावधान में डॉ. भगवान तिवारी के मार्गदर्शन में उनके उपन्यास 'द्रोणाचार्य' पर सेमिनार का वर्चुअल आयोजन हुआ।  सरस्वती वंदना के साथ आचार्य रामव्यास उपाध्याय ने कार्यक्रम को प्रारंभ किया। डॉ.भगवान तिवारी ने वर्तमान परिप्रेक्ष्य में उपन्यास की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। 
   समारोह की अध्यक्षता प्रबुद्ध समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रदीप मिश्र ने की। मुख्य अतिथि सुहासिनी बाजपेई, विशेष अतिथि डाॅ. दुबे, विशिष्ट अतिथि डॉ. पी.के. पाण्डेय स्वागताध्यक्ष साहित्यकार-फिल्म कथा लेखक मधुराज मधु ने आशीर्वाद दिया।
    कार्यक्रम में सुहासिनी बाजपेई ने द्रोणाचार्य उपन्यास की भूमिका, एड्.अजय दुबे ने अंतराश्रमीय शस्त्रास्त्र संचालन, अनिलदत्त उपाध्याय ने शिक्षकों के प्रति कुलपति का व्यवहार, कवयित्री रोशनी किरण ने बालक द्रोण, डाॅ. वर्षा सिंह ने महाराज द्रुपद द्वारा द्रोणाचार्य का अपमान, डॉ.शालिनी मिश्रा ने गुरुकुल में सभी वर्णों के विद्यार्थियों के प्रवेश की घोषणा, प्रो. शशिकला पटेल ने शरद्वान आनंद कानन और उर्वशी संयोग,  इंदिरा पाण्डेय ने विभिन्न परिवेश में अश्वत्थामा की मनोदशा, आचार्य वीरेंद्र त्रिपाठी ने अर्जुन के द्वारा द्रुपद पर आक्रमण, प्रो. रीना राय ने अभिशप्त अहिल्या, डाॅ. अवनीश सिंह ने  द्रोणाचार्य का जन्म, आचार्य रामव्यास उपाध्याय ने गौतम ऋषि का गुरुकुल, डॉ. अरविंद श्रीवास्तव ने कृपी और विपन्न ससुराल, श्री अजय शुक्ला ने शरद्वान और उर्वशी, अमर बहादुर पटेल ने समीक्षा, शिक्षाविद चंद्रवीर बंशीधर यादव ने अपमान का बदला,  सिंधवासिनी तिवारी ने भरद्वाज ऋषि का प्रवचन- स्वर्ग की अप्सराएँ, कविवर श्री रामस्वरूप साहू ने द्रोणाचार्य के पास एकलव्य का आगमन, आशुतोष शुक्ला ने अश्वत्थामा का जन्म तथा बालकेश पाण्डेय ने द्रोणाचार्य का अग्निवेश के गुरुकुल में प्रवेश पर प्रकाश डाला। डाॅ.अरुण मिश्र ने आभार प्रकट किया। डाॅ.अमरबहादुर पटेल ने सफल संचालन किया। समारोह के संयोजन में एड्.विवेक त्रिपाठी, प्रभाशंकर शुक्ल, रमेश दुबे, जनार्दन मिश्र, धनंजय चौबे, अजीत चौबे ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। कार्यक्रम में डी.के.मिश्र, डाॅ.प्रमोद पाण्डेय, चंद्रिका राय, प्राचार्य एस.पी. पाण्डेय अंत तक जुड़े रहे।

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