भोलेनाथ बूढ़े बैल पर सवार चले, हिमाचल के द्वार चले ना।
तन पे भभूति रमाए, बिच्छू बांह लटकाए।
गले सर्प हैं लपेटे फुफकार चले।
हिमाचल।।
धारे गंग की तरंग,नाचे भूत-प्रेत संग।
होश खोए सब घराती मन मार चले।।
हिमाचल।।
पहुंची जबहीं बरात, नाहीं कोऊ बा लखात।
देखि देखि के घराती सब पुकार चले।।
हिमाचल।।
इत उत धाय धाय, सभी कहें बप्पा माय।
दुल्हा बौरा बाटे कहत नर नार चले।।
हिमाचल।।
मैना खबर जब पाई, कहें अरे बप्पा माई।
होए देबै न विवाह सब लचार चले।।
हिमाचल।।
कहें पार्वती मैया, बनि जा हमरो सहैया।
‘अच्छे’ करै बदे वैदिक मंत्रोच्चार चले।।
हिमाचल।।
होने लगा जै जै कार, जय हो भोले सरकार।
‘आयुष’ गावै बदे मड़वा मंगलचार चले।।
हिमाचल।।
शिवजी करें सिंदुरदान, होवे लगल मंगलगान।
देव लोग बरसाते पुष्पहार चले।।
हिमाचल।।
*कवी - अच्छेलाल पाठक*
0 Comments