वसई। वसई विरार महानगरपालिका क्षेत्र के नागरिक पिछले तीस पैंतीस साल से पानी के लिए संघर्ष कर रहे है. नागरिकों के हक के पानी के लिए पिछले कई सालों से अनगिनत आंदोलन हुए. लेकिन यह सत्य है की, आंदोलनकारियों को सिर्फ आश्वासन ही मिला है पानी नही. लेकिन ये भी इतना ही सच है की, पिछले चार पांच महीने से जो आंदोलन हो रहे है वो पानी की समस्या के लिए नहीं बल्कि नागरिकों को गुमराह कर श्रेय लुटके राजनीतिक रोटी सेंकने के इरादे से हो रहा तमाशा है. क्युकी सभी राजनीतिक पार्टी अच्छी तरह से जानती है की केंद्र की मोदी सरकार की अमृत योजना के तहत करीबन 13 सो 25 करोड़ की लागत से तैयार हो रहे सूर्या परियोजना से वसई विरार महानगरपालिका को 185 एमएलडी अतरिक्त पानी उपलब्ध होनेवाला है और उसमे से करीबन 85 एमएलडी पानी कभी भी नागरिकों के लिए उपलब्ध हो सकता है.
सबसे हास्यास्पद बात तो ये है की जो लोग पिछले 35 साल से सत्ता में बैठे थे और उनके ही कार्यकाल में बनी ऐसी अनेक इमारतों के रहवासी पिछले आठ दस साल से टैंकर का दूषित पानी पीने को मजबूर है. लेकिन तब सत्ताधारियों को इनकी समस्या नजर नहीं आई. लेकिन जब अन्य पार्टियां पानी को लेकर सड़कों पर उतरी तब सत्ताधारियों को सत्ता का डर सताने लगा. इसलिए नागरिकों को गुमराह कर, मनपा में पिछले 3 साल से बैठे प्रशासक को पानी के लिए जिम्मेदार ठहराकर अपनी नाकामी छुपाने का प्रयास कर रहे है. फिर भी यहां तक तो ठीक है. लेकिन हद तो तब हो गई, जब कुछ राजनीतिक पार्टियों को पानी का श्रेय मिलने के आसार नजर नहीं आए तो गन्दी राजनीति के तहत जनता को गुमराह करने के लिए बताया गया की सूर्या परियोजना का 85 एमएलडी पानी वसई की जनता के लिए जून महीने से तैयार है. लेकिन मुख्य मंत्री के पास उद्घाटन का समय नहीं है. उसके बाद इस प्रकार अफवाह फैलाई गई की प्रधानमंत्री इस परियोजना का उद्घाटन करेंगे. इस प्रकार पानी की गंदी राजनीति के लिए देश एक ऐसे व्यक्ति को, जो व्यक्ति देश और देश के 140 करोड़ नागरिकों के लिए प्रधानसेवक बनकर 18 घंटा काम कर, देश के हर नागरिक को "हर घर नल" योजना के तहत पानी पहुंचाने का प्रयास कर रहा है, उन्हें भी गंदी राजनीति के लिए जूठे आरोपों के तहत पानी के लिए जिम्मेदार ठहराकर कठघरे में खड़ा कर दिए. इसी प्रकार हाल ही में केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी जी विरार दौरे पर आए थे, उन्हे भी काले झंडे दिखाए गए. पानी पर हो रही गंदी राजनीति को लेकर देश के प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री और राज्य के मुख्यमंत्री पर उंगलियां उठ रही है फिर भी मनपा प्रशासन मौन धारण कर बैठा है. मनपा प्रशासन के इस मौन के कारण देश के प्रधानमंत्री और राज्य के मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा कलंकित हो रही है.
इसलिए मनपा प्रशासन की इस मौन भूमिका पर नाराजगी व्यक्त करते हुए भाजपा वसई विरार जिला उपाध्यक्ष एवं प्रसिद्धि प्रमुख मनोज बारोट ने आयुक्त अनिल कुमार पवार को लिखित पत्र द्वारा कड़े शब्दों में बताया है की, अब यह मुद्दा सिर्फ पानी तक ही सीमित नहीं रहकर, देश के प्रधानमंत्री, राज्य के मुख्यमंत्री और भाजपा के नेता की प्रतिष्ठा का भी मुद्दा बन गया है. इसलिए मनपा प्रशासन पानी पर हो रही गंदी राजनीति को रोकने के लिए और प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा को कायम रखने के लिए सूर्या प्रकल्प की सत्य परिस्थिति एक श्वेत पत्र जारी कर तालुका के 30 लाख नागरिकों को बताए. अन्यथा मनपा प्रशासन के विरोध में देश के प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा कलंकित करने के विरुद्ध राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री कार्यालय में व्यक्तिगत रूप से दिल्ली जाकर लिखित शिकायत सौंपी जाएगी. ऐसा इशारा बारोट ने मनपा आयुक्त को दिए पत्र में किया है.
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