वरिष्ठ पत्रकार डॉ. अजीत कुमार राय की पुस्तक "श्री रामचरित मानस के झरोखे से श्रीराम और भरत" का विमोचन

मुम्बई: महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी और के. सी. कॉलेज के हिंदी-विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित समारोह में मुंबई के वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार और प्रोफेसर डॉ. अजीत कुमार राय द्वारा नवरचित पुस्तक *"श्री रामचरित मानस के झरोखे से श्रीराम और भरत"* का विमोचन हुआ।
डॉ. राय द्वारा लिखी गई इस पुस्तक का विमोचन एचएसएनसी विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. हेमलता बागला, महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष डॉ. शीतला प्रसाद दुबे, के. सी. कॉलेज की प्राचार्या डॉ. तेजश्री शानभाग, वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रसिद्ध लेखक डॉ. संजय सिंह एवं वरिष्ठ छाया पत्रकार मोहन बने के हाथों हुआ। विमोचन समारोह को सम्बोधित करते हुए कुलपति डॉ. हेमलता बागला ने कहा कि डॉ. राय द्वारा लिखी गई इस पुस्तक का नाम ही काफी कुछ बयां कर देता है कि इसके अन्दर किन बातों का ज़िक्र किया गया है। यह अपने आप में पुस्तक के प्रति जिज्ञासा पैदा करने के लिए पर्याप्त है। मेरा व्यक्तिगत विचार है कि यह पुस्तक न केवल श्री राम और भरत के सम्बंधों एवं समर्पण से हमें परिचित कराएगी, बल्कि हमारा पथ प्रदर्शन भी करेगी। महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्याध्यक्ष डॉ. शीतला प्रसाद दुबे ने अपने उद्बोधन में कहा कि इस पुस्तक के अनुसार प्रभु श्री राम और भाई भारत के सम्बंध और उन दोनों के आदर्श, जितने उस समय महत्वपूर्ण थे, उतने ही आज भी प्रासंगिक हैं। आज के युग में भी भरत जैसा भाई मिलना बहुत मुश्किल है। शायद इसीलिए भरत को भारतवर्ष को भास्वर करने का चरित्र माना जाता है, क्योंकि उन्होंने सिंहासन और राजपद को महत्व न देकर भाई के प्रेम को महत्व दिया। जब तक प्रभु श्री राम 14 बरस तक वनवास में रहे, तब भरत ने प्रभु श्री राम की चरण -पादुका की पूजा करते हुए अयोध्या का शासन सम्भाला। यह आज बहुत ही अधिक महत्वपूर्ण विषय है, क्योंकि एक तरफ लगभग 500 वर्षों के अज्ञातवास के बाद श्री राम मंदिर की पुनर्प्रतिष्ठा अयोध्या में हुई है, तो दूसरी ओर प्रभु श्री राम और भरत के विषय को लेकर यह उत्कृष्ट पुस्तक लिखी गयी है। इस पुस्तक में भारतीय जीवन के आदर्श को प्रमुखता से स्थान दिया गया है, जिसे पढ़कर नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने का अवसर प्राप्त होगा। इसी क्रम में वरिष्ठ पत्रकार डॉ. संजय सिंह ने कहा कि पत्रकार का लेखन मौलिकता से परिपूर्ण होता है और चूंकि यहाॅं लेखक डॉ. राय पत्रकार के साथ-साथ प्राध्यापक भी हैं, तो इस पुस्तक में मौलिकता, प्रासंगिकता और एक सामाजिक दृष्टिकोण का बेहतरीन समन्वय देखने को मिलता है। उन्होंने कहा कि राम कथा में अपना स्वयं का सम्मोहन होता है, ऊपर से भरत के चरित्र को उभारने का प्रयास इसे विशिष्ट बनाता है। सबसे महत्वपूर्ण है इस पुस्तक की भाषा का सहज होना, जिससे हर उम्र का पाठक इसे आसानी से पढ़ और समझ सकता है। प्राचार्या डॉ. तेजश्री शानभाग और वरिष्ठ छाया पत्रकार मोहन बने ने डॉ. राय को इस पुस्तक के लिए हार्दिक बधाई दी तथा भविष्य में भी साहित्य सृजन करने के लिए शुभकामनाएं दी। पुस्तक के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. अजीत राय ने बताया कि इस पुस्तक के मुख्य पात्र श्री भरत जी हैं। गोस्वामी तुलसीदास कृत श्रीरामचरित मानस को आधार बनाकर, अन्य पुस्तकों, कथाओं का उल्लेख करते हुए तथा प्रभु श्री राम के सहारे भरतलाल जी के चरित्र को प्रस्तुत करने का प्रयास इस पुस्तक में किया गया है। इसके साथ ही श्रीरामचरित मानस के विविध संदर्भों का व्यवहारिक विवेचन भी इस पुस्तक में किया गया है।

इनकी रही उपस्थिति;-

इस पुस्तक विमोचन समारोह में सोमैया विश्वविद्यालय के पूर्व अधिष्ठाता डॉ. सतीश पांडेय, नवभारत टाइम्स के पूर्व सम्पादक शचीन्द्र त्रिपाठी, पूर्व शहर संपादक विमल मिश्र, हिंदुस्थान पोस्ट के संपादक स्वप्निल सावरकर, जय महाराष्ट्र चैनल के संपादक प्रसाद काथे, विविध भारती के युनूस खान, जागरूक टाइम्स के कार्यकारी सम्पादक नीरज दवे, एम. एम. पी. शाह कॉलेज की पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. उषा मिश्र, एम डी कॉलेज हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. उमेशचंद्र शुक्ल, आर. जे. कॉलेज की हिंदी विभागाध्यक्षा डॉ. मिथिलेश शर्मा, विल्सन कॉलेज की हिंदी विभागाध्यक्षा डॉ. सत्यवती चौबे, योगायतन ग्रुप के प्रबंध निदेशक डॉ. अमेय प्रताप सिंह, महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्यकारी सदस्य श्याम शर्मा, गजानन महतपुरकर और प्रो. मार्कंडेय त्रिपाठी, वरिष्ठ पत्रकार जीतेन्द्र दीक्षित, राकेश त्रिवेदी, पराग छापेकर, रेणु शर्मा, राकेश पांडेय और शचीन्द्र दुबे के अलावा विविध महाविद्यालयों के प्राध्यापक, पत्रकार, हिंदी सेवी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।
          

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